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छात्रा को लैपटॉप देते सीएम योगी। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मां अन्नपूर्णा की कृपा और पूज्य महन्त शंकर पुरी जी महाराज के नेतृत्व व मार्गदर्शन में श्री अन्नपूर्णा मठ मन्दिर द्वारा अनेक लोकोपकारी प्रकल्प प्रारम्भ किए गए हैं। प्रदेश सरकार अन्नपूर्णा मठ मन्दिर द्वारा प्रारम्भ किए गए लोकोपकारी कार्यों को आगे बढ़ाने में भरपूर सहयोग करेगी। श्री अन्नपूर्णा मठ मन्दिर द्वारा संचालित श्री अन्नपूर्णा ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय विगत 108 वर्षों से भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं प्रसार में निरन्तर सक्रिय है। आज यहां 250 से अधिक बेटियों को सिलाई मशीन तथा अनेक छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण के उपरान्त लैपटॉप प्रदान किये जा रहे हैं।
संस्कृत माध्यमिक विद्यालय का शिलान्यास
मुख्यमंत्री सोमवार को जनपद वाराणसी में श्री अन्नपूर्णा ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय में काशी अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट द्वारा संचालित सिलाई-कढ़ाई एवं कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र के 14वें सत्रान्त पर छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र, लैपटॉप एवं छात्राओं को सिलाई मशीन वितरित करने के पश्चात आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने श्री अन्नपूर्णा ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम संस्कृत माध्यमिक विद्यालय का शिलान्यास किया। इसके पूर्व, उन्होंने आश्रम परिसर में पौधरोपण किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी में अन्नपूर्णा मंदिर से जुड़ा हुआ कोई भी कार्यक्रम होता है, तो संस्कृत महाविद्यालय के बच्चे वैदिक स्त्रोत के साथ अतिथियों का स्वागत करते हुए दिखाई देते हैं। इससे सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक हो जाता है। आने वाले समय में संस्कृत दुनिया को जोड़ने वाली भाषा बनेगी। संस्कृत के बिना किसी का काम नहीं चलेगा।
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संस्कृत पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी के लिए स्कॉलरशिप
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने संस्कृत पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था की है। संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों के रहने और खाने की व्यवस्था के लिए सरकार अनुदान की व्यवस्था करने जा रही है। संस्कृत में विशिष्ट शोध और उच्च अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए विशिष्ट स्कॉलरशिप की व्यवस्था की जाएगी। दुनिया के प्राचीनतम ज्ञान की धरोहर संस्कृत में सुरक्षित है। संस्कृत विज्ञान के साथ दिव्य ज्ञान की भी भाषा है। दिव्य ज्ञान के लिए दिव्य चक्षु तथा आध्यात्मिक दृष्टि चाहिए। आध्यात्मिक भाव में जो भी गोता लगाएगा, वह संस्कृत के प्रति आग्रही व लोक कल्याण का माध्यम बनेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत में वेद और व्याकरण दुनिया को भारत की एक विशिष्ट देन है। भारत के तक्षशिला में दुनिया का पहला विश्वविद्यालय खोला गया था। व्याकरण के आद्य रचयिता भगवान पाणिनि इस विश्वविद्यालय की देन हैं। भगवान पाणिनि के व्याकरण सूत्रों में व्याकरण के साथ-साथ उस समय के इतिहास व परम्परा के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। ऋग्वेद दुनिया का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। यह भारत की देन है। कल महर्षि वाल्मीकि जी की जयन्ती है। महर्षि वाल्मीकि ने व्यावहारिक संस्कृत में दुनिया का पहला महाकाव्य रचा था।
सनातन धर्म लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि शांति और सौहार्द का मार्ग प्रशस्त करना है, तो सभी को सनातन धर्म की शरण में आना पड़ेगा। सनातन धर्म लोक मंगल व लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। सनातन धर्म को बचाना है, तो हमें संस्कृत की शरण लेनी ही पड़ेगी। संस्कृत को अपना माध्यम बनाना पड़ेगा। इस संस्थान द्वारा गो-सेवा के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। गौशाला में हृष्ट-पुष्ट गायें मौजूद हैं। भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म में 'गावो विश्वस्य मातरः' की अवधारणा पर गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। बाबा विश्वनाथ को नन्दी अत्यन्त प्रिय हैं। हमें गायों के संरक्षण के साथ-साथ नन्दी का भी संरक्षण करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने नारी सुरक्षा, सम्मान तथा स्वावलम्बन को सदैव महत्व प्रदान किया है। भारतीय संस्कृति सदैव ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः 'भाव की आग्रही रही है। सनातन संस्कृति हमेशा मातृ शक्ति के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव व्यक्त करती रही है। ‘माता भूमि पुत्रोऽहं पृथिव्या' भाव के साथ हम सभी धरती माता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। हम दुनिया की सबसे पवित्र नदी गंगा को मां के रूप में मानकर उसकी अराधना करते हैं। चराचर जगत की आदिशक्ति मां भगवती हैं। इस जगत में मानव, जीव-जन्तु आदि को मां अन्नपूर्णा की कृपा से भोजन प्राप्त होता है।
इस अवसर पर स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल, आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र 'दयालु' तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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