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प्रतीकात्मक Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। रामपुर में यतीमखाना ढहाए जाने के मामले में राज्य सरकार द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जवाबी हलफनामे को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री व पूर्व सांसद मोहम्मद आजम खान(Azam Khan) और अन्य याचियों ने इसका प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है। याचियों की मांग स्वीकार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट( Allahabad High Court) ने याचिका को सुनवाई के लिए 16 सितंबर को पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी, अधिवक्ता सैयद अहमद फैजान और आजम खान व उनके सहयोगी वीरेंद्र गोयल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनआई जाफरी, अधिवक्ता शाश्वत आनंद एवं शशांक तिवारी को सुनकर दिया।
क्या कहना है याचियों का
कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर याचिका में संशोधन की अनुमति दी थी, जिसके बाद याचिकाएं केवल मुख्य सूचनादाताओं, विशेष रूप से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी, की दोबारा गवाही और दोषमुक्त करने वाली वीडियोग्राफी को रिकॉर्ड में लाने की मांग तक सीमित रह गईं। याचियों का कहना है कि वीडियोग्राफी उनकी घटनास्थल पर अनुपस्थिति साबित कर सकती है।
यतीमखाना ढहाए जाने के आरोप में यह मुकदमा साल 2019 में रामपुर के कोतवाली थाने में दर्ज 12 एफआईआर पर आधारित है। इनमें डकैती, घर में अनधिकृत प्रवेश और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप हैं। इन सभी को विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) रामपुर ने एकल वाद में समाहित कर दिया था। याचियों ने याचिकाओं में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें गवाहों को दोबारा बुलाने और वीडियोग्राफी को शामिल करने की उनकी मांग को खारिज कर दिया गया था। उनका कहना है कि यह मुकदमा राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 20 और 21 का उल्लंघन है।
UP News : अखिलेश का तंज, भाजपा सरकार के पास बेरोजगारी का समाधान नहीं
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