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इंजीनियर से उलझते मंत्री दयाशंकर सिंह। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश की योगी सरकार में क्या वाकई अधिकारी, विधायकों और मंत्रियों तक की नहीं सुन रहे हैं? शायद इसका जवाब हां हो सकता है। दरअसल, बीते दो दिनों में ऐसे दो वाकये सामने आए हैं, जिनसे इस आरोप का बल मिलता है। अभी मंत्री सुरेश राही का बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर के साथ सीतापुर वाला मामला सुलटा ही था कि अब परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का मामला सामने आ गया है।
क्या है पूरा मामला
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का निर्वाचन क्षेत्र बलिया है। यहां एक नवनिर्मित पुल को पीडब्ल्यूडी इंजीनियर ने बगैर मंत्री दयाशंकर सिंह को सूचना दिए ही जनता के लिए खोल दिया। बस फिर क्या था, बवाल मचना था, तो मच गया। मंत्री दयाशंकर सिंह ने न केवल पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर को फटकार लगाई, बल्कि आरोप भी लगा दिया वह किसके इशारे पर काम कर रहा है। दयाशंकर सिंह ने झल्लाते हुए इंजीनियर से कहा, 'मैं यहां का एमएलए हूं, मंत्री हूं, मुझे बिना बताए आपने पुल खोल दिया। आप किसके इशारे पर काम कर रहे हैं, मुझे सब पता है।' परिवहन मंत्री ने कहा, 'पहले अनुरोध करने पर भी पुल नहीं खोला और औपचारिक परीक्षण व प्रशासनिक स्वीकृति की बात करते रहे और अब बिना बताए पुल खोल दिया।'
दयाशंकर सिंह ने बसपा विधायक उमाशंक सिंह का नाम लिए बगैर इंजीनियर से कहा, 'मुझे पता है कि आप किसके इशारे पर काम कर रहे हैं? क्या आप यहां से चुनाव लड़ रहे हैं? आपने ये सब इसलिए किया ताकि मुझे इसका श्रेय न मिल सके।' परिवहन मंत्री ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि इस मामले की सूचना उच्चाधिकारियों को दी जाएगी।
जूनियर इंजीनियर ने मंत्री की बात की अनसुनी
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गौरतलब है कि इससे पहले सीतापुर के हरगांव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक सुरेश राही जो प्रदेश सरकार में कारागार राज्य मंत्री है, के इलाके के कोरया उदयपुर गांव में पिछले 15 दिनों से लाइट नहीं आ रही थी। जनता की परेशानी को देखते हुए मंत्री सुरेश राही भी गांव पहुंच गए और टेलिफोनिक अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन जूनियर इंजीनियर ने मंत्री से कहा कि मेरे पास टाइम नहीं है, आप ट्रांसफार्मर लेकर आ जाओ। इसके बाद सुरेश राही अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए। इसके बाद मचे राजनीतिक बवाल के बाद ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने जूनियर इंजीनियर को निलंबित कर दिया था। वहीं, मंत्री सुरेश राही ने कहा कि बिजली विभाग की नजरों में ना ही मंत्री की इज्जत है और ना ही जनता की।
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