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प्रतीकात्मक Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के विलय के आदेश को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है। एक याचिका सीतापुर के 51 बच्चों ने दाखिल की है जबकि एक अन्य याचिका भी लगाई गई है। इन पर अब तीन जुलाई को सुनवाई होनी है। इसके साथ ही यह मामला अब राजनीतिक रंग भी ले रहा है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा है कि यह फैसला गरीब विरोधी है और सरकार इसे तुरंत वापस ले। वहीं, आम आदमी पार्टी ने भी इस मुदे पर प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया।
16 जून को जारी किया गया आदेश
बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून को आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि प्रदेश भर के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की संख्या के आधार पर उच्च या कंपोजिट स्कूलों में उनका विलय किया जाएगा। हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका में आग्रह किया गया है कि इस आदेश को रद्द किया जाए। साथ ही कहा गया है कि यह मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। इसके अलावा विलय होने से छोटे बच्चे स्कूलों से दूर हो जाएंगे। याचिकाओं में प्राथमिक स्कूलों की चल रही विलय की कार्रवाई पर तुरंत रोक लगाने का भी आग्रह किया गया है।
बसपा प्रमुख ने कहा, हमारी सरकार आई तो रद्द होगा फैसला
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती( bsp chief mayavati) ने भी इसे मुद्दे पर सरकार को घेरा। मायावती ने कहा कि यह फैसला गैरजरूरी और गरीब विरोधी है। इससे करोड़ों बच्चे घर के पास मिलने वाली सुगम व सस्ती सरकारी शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस फैसले को तुरंत वापस ले। साथ बसपा मुखिया ने बच्चों के अभिभावकों को विश्वास दिलाते हुए कहा है कि यूपी में बसपा की सरकार बनने पर प्राथमिक स्कूलों की पुरानी व्यवस्था फिर से लागू की जाएगी।
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