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मस्जिद बैठे अखिलेश यादव व डिंपल यादव का फाइल फोटो। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। समाजवादी पार्टी के मुखिया व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव एवं उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव के दिल्ली की एक मस्जिद में बीते दिनों जाने का मामला पहले ही तूल पकड़ता जा रहा था, उस पर अब एक मौलाना की आपत्तिजनक टिप्पणी ने इस मामले में आग में घी डालने का काम किया है। इसमें अब विश्व हिंदू परिषद(विहिप) की भी एंट्री हो गई है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक लंबा चौड़ा-पोस्ट लिखकर कई सवाल उठाए हैं।
क्या लिखा है 'एक्स' पर पोस्ट में
उन्होंने लिखा, 'अखिलेश यादव जी द्वारा, अपने कुछ सांसदों व पार्टी नेताओं के साथ, दिल्ली की एक मस्जिद में हुई राजनीतिक मीटिंग के बाद आशा की जा रही थी कि शायद, अब देश की सभी मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध समाप्त हो जाएगा। वे अब मस्जिदों पर पुरुषों के एकाधिकार को समाप्त कर समाजवाद की ओर कदम बढ़ाएंगे और महिलाओं को भी मस्जिदों में नमाज का अधिकार दिलाएंगे। यह भी अपेक्षा थी कि पार्टी अब मुस्लिम महिलाएं को हिजाब और बुर्के रूपी बंधनों से मुक्त करने के लिए भी आगे बढ़ेगी!! इसके लिए अखिलेश जी(Akhilesh Yadav) और उनकी पार्टी, आगे बढ़कर, अपने कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम मित्रों से बात कर कुछ समाधान निकालेंगे।
लेकिन, दुर्भाग्य से मामला उलटा ही पड़ा! देश की संसद सदस्या और पार्टी के अध्यक्ष की पत्नी पर एक कट्टरपंथी जिहादी मौलाना द्वारा की गई बेहद अभद्र, अपमानजनक, निंदनीय व अक्षम्य टिप्पणी पर पूरी पार्टी ही नहीं अपितु, उसके अध्यक्ष और सांसद के पति भी अपमान का यह घूंट पीकर रह जाएंगे, ऐसी अपेक्षा देश में किसी को ना थी। यह जिहादी तुष्टिकरण की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है?
इस नारी द्रोही मौलाना के विरुद्ध सम्पूर्ण देश की सांसद, संसद परिसर में भी एक स्वर से अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं किंतु मामले पर ना सिर्फ पार्टी और उसके नेता अपितु, सम्पूर्ण इंडी गठबंधन के होठों को वोट बैंक ने सिल दिया है!! इतना ही नहीं, इस जिहादी बयान पर जमीयत, देवबंद, AIMPLB और AIMIM जैसी जमातों की चुप्पी भी मौलाना के बयान पर उनकी मौन स्वीकृति को ही दर्शा रही है। उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह टिप्पणी और महिला सांसद का मस्जिद में प्रवेश इस्लाम सम्मत नहीं! क्या वे कभी मुस्लिम महिलाओं को भी मस्जिदों में नमाज की अनुमति और मौलाना, उलेमा, काजी या मौलवी बनाने की राह प्रशस्त कर पाएंगे!!'
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