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Rakshabandhan 2025 : भाइयों की कलाई पर इस बार सजेगी फूलों से बनी राखी, कीमत मात्र 50 रुपये

एनबीआरआई ने इको-फ्रेंडली राखी की पहल की है। निम्फिया, हेलिक्रिसम, इक्जोरा, क्राइसेन्थेमम और गोम्फरेना जैसे सूखे फूलों और प्राकृतिक वनस्पति सामग्री से फ्लोरल बायोडिग्रेडेबल राखी तैयार की है।

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Deepak Yadav
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एनबीआरआई ने सूखे फूलों से तैयार की राखी Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बहन और भाई के अटूट बंधन का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन नौ अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। भाई भी ब​हनों की रक्षा का वादा करते हैं। इस बार रक्षाबंधन पर राखी सिर्फ परंपरा नहीं, एक पहल होगी। जो भाई की कलाई से होते हुए समाज तक पहुंचगी। बहनों के प्यार की डोरी पर्यावरण का बचाने और महिलाओं को सशक्त बनाने का संदेश भी देगी।

इको-फ्रेंडली राखी की पहल

सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) ने इको-फ्रेंडली राखी की पहल की है। संस्थान ने निम्फिया, हेलिक्रिसम, इक्जोरा, क्राइसेन्थेमम और गोम्फरेना जैसे सूखे फूलों और प्राकृतिक वनस्पति सामग्री से फ्लोरल बायोडिग्रेडेबल राखी तैयार की है। ये भाई-बहन के अटूट रिश्ते को सजाएगी और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगी।

कृत्रिम रंग या प्लास्टिक का प्रयोग नहीं

इन फूलों के रंग, सौंदर्य और बनावट को बनाए रखने के लिए डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट्स टेक्नोलॉजी का उपयोग एनबीआरआई की ओर से कौशल विकास कार्यक्रमों के तहत प्रशिक्षित महिलाओं से तैयार कराया गया है। यह तकनीक फूलों को इस तरह सुखाती है कि उनके रंग और सुगंध लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं। इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के कृत्रिम रंग या प्लास्टिक का प्रयोग नहीं होता। 

 राखियों की प्री-बुकिंग शुरू

एनबीआरआई के निदेशक डा. एके शासनी ने बताया कि इस्तेमाल के बाद ये राखियां स्वतः ही मिट्टी में मिल जाती हैं। इन राखियों की कीमत मात्र 50 रखी गई है। इच्छुक लोग इन राखियों की प्री-बुकिंग भी कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए एनबीआरआई के सेल सेक्शन से 0522-2297970 पर संपर्क किया जा सकता है।

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