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प्रतीकात्मक Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति निरस्त किए जाने के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि शासनादेश के तहत जेठानी को 'एक ही परिवार' का हिस्सा तभी माना जाएगा, जब दोनों भाई एक ही घर और एक ही रसोई के साथ रहते हों। दोनों का घर व रसोई अलग हो, तो जेठानी एक परिवार का हिस्सा नहीं होगी। कोर्ट ने याची आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया और सेवा जनित सभी परिलाभों के साथ बहाली का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने कुमारी सोनम की याचिका पर दिया। कोर्ट ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देश दिया कि वह याची को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में बहाल करें।
जानें पूरा मामला
याची सोनम की नियुक्ति जिला कार्यक्रम अधिकारी, बरेली ने 13 जून, 2025 को रद्द कर दी थी। इसका आधार यह दिया था कि जेठानी पहले से ही उसी केंद्र में आंगनबाड़ी सहायिका थी। शासनादेश के अनुसार एक परिवार के दो सदस्य आंगनवाड़ी केन्द्र में नौकरी नहीं कर सकते।
याची ने तर्क दिया कि उसकी जेठानी अलग घर में रहती है इसलिए याची के पति के परिवार की परिभाषा में नहीं आती, भले ही वह अपने ससुर के परिवार से संबंधित हो। साथ ही कहा कि किसी भी तरह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर चयन और नियुक्ति के प्रयोजनों के लिए जेठानी को परिवार की परिभाषा के अंतर्गत नहीं माना जा सकता। याची ने यह भी कहा कि निरस्त करने का आदेश याची को कोई नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना पारित किया गया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा, 'बहू (जेठानी) परिवार की सदस्य नहीं होगी। बहू (जेठानी) को परिवार का सदस्य माना जा सकता है] बशर्ते दोनों भाई एक साथ रहते हों और उनकी रसोई व घर एक ही हो।'
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