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सांसद चंद्रशेखर आजाद 'रावण' का फाइल फोटो। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार द्वारा जातिगत रैलियों, FIR और पुलिस रिकॉर्ड में जाति लिखने पर रोक लगा दी गई है। सरकार भले ही इसे 'समानता' का कदम बता रही है, लेकिन सच यह है कि यह फैसला जातिवाद को खत्म करने में नाकाम सरकार की हताशा और बहुजन समाज की आवाज दबाने की साजिश है। यह कहना है आजाद समाज पार्टी के मुखिया व नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद 'रावण' का।
चंद्रेशखर ने कहा कि अपने धर्म के भगवान को भी अपनी 'जाति' का बताकर, 'जाति' पर गर्व करने की नसीहत देने वाले, हनुमान जी की 'जाति' बताने वाले और 'जाति' के नाम पर सम्मेलन करवाने वाली सरकार के मुखिया को, अब 'जाति' के नाम पर राजनीति असंवैधानिक और समाज तोड़ने वाली लगने लगी है।
'सरनेम' हटाने का आदेश भी पारित करना पड़ेगा
उन्होंने कहा कि अगर इस आदेश को स्वागत योग्य मान भी लिया जाए, तो भी यह अधूरा है। यदि अदालतें व सरकार देश-प्रदेश से जातिवाद मिटाना चाहती हैं, तो नामों के बाद लगने वाले जाति 'सरनेम' हटाने का आदेश भी पारित करना पड़ेगा। चंद्रशेखर ने कहा कि जातिगत असमानता व भेदभाव खत्म करने के लिए 'जाति' देखकर की जाने वाली ट्रांसफर-पोस्टिंग, इंटरव्यू, नियुक्तियां, सरकारी ठेके और अपराधियों या माफियाओं पर कार्रवाई में भी रोक लगानी होगी। उन्होंने कहा कि यह आदेश केवल कागजी खानापूर्ति न बने, इसके लिए यह सरकारों की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। वरना इन आदेशों की आड़ में कमजोर तबके के लोग परेशान होते रहेंगे, जबकि 'जाति' के नाम पर बनी तमाम सेनाओं को तलवार लहराकर गुंडई करने की खुली छूट मिलती रहेगी।
माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री @myogiadityanath जी की सरकार ने जातिगत रैलियों, FIR और पुलिस रिकॉर्ड में जाति लिखने पर रोक लगा दी है। सरकार इसे “समानता” का कदम बता रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह फैसला जातिवाद को खत्म करने में नाकाम सरकार की हताशा और बहुजन…
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) September 22, 2025
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