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कार्यक्रम को संबोधित करते विधायक राजा भैया। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। देश में सबसे पहले कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखने वाले समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया थे। यह कहना है जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष और यूपी की कुंडा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का। राजा भैया मंगलवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री व समाजवादी विचारधारा के भीष्म पितामाह कहलाने वाले चंद्रशेखर जी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
जब जेल में मिलने आए चंद्रशेखर
उन्होंने पूर्व पीएम चंद्रशेखर को याद करते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विशिष्टता थी कि चाहे कोई भी हो, किसी भी दल या विचारधारा का हो, वह सभी से बहुत ही आत्मीयता से और निश्चल भाव से मिलते थे। राजा भैया ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वे पोटा कानून के तहत कानपुर जेल में बंद थे, उस समय चंद्रशेखर जी मिलने आए थे, लेकिन जेल प्रशासन ने मिलने नहीं दिया। इसके बाद बांदा जेल में मुलाकात हुई। राजा भैया ने कहा, वह अपने साथ कई पुस्तकें लाए थे, उनका पहला सवाल यही था कि क्या पढ़ते हो? मैंने कहा-आजकल रामचरित मानस का पाठ कर रहा हूं। इस पर उन्होंने कई पुस्तकें मुझे दीं, जो आज भी उनकी अनमोल धरोहर और स्मृतियों के रूप में मैंने संजोकर रखी हैं।
इस मौके पर समाजवादी राजनीति के पुरोधा जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया का जिक्र करते हुए राजा भैया ने कहा कि यही दो लोग थे, जिन्होंने सबसे पहले कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखा था। उन्होंने कहा कि हमारे समाजवादी पार्टी के साथियों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि कांग्रेस को लेकर लोहिया जी की क्या भावनाएं थीं? आचार्य नरेंद्र देव और मुलायम सिंह की क्या भावनाएं थीं?
माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह की जाती है, वहां घर नहीं बनाया जाता
राजा भैया ने कहा कि चंद्रशेखर जी के प्रधानमंत्री बनने के महज चार माह के भीतर ही कांग्रेस और राजीव गांधी को चिंता होने लगी। यह वह समय था जब कांग्रेस ने तय कर लिया कि चंद्रशेखर को पीएम पद से हटाना है। आरोप लगाया गया कि हरियाणा पुलिस के दो जवान जासूसी के लिए राजीव गांधी के घर के बाहर टहल रहे थे। चंद्रशेखर समझ चुके थे कि अब चलने का समय हो चुका है। कांग्रेस को लगा कि चंद्रशेखर अपने वरिष्ठ कांग्रेस मित्रों के आगे गिड़गिड़ाएंगे कि पद पर रहने दिया जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बाद में कांग्रेस ने भी कहा कि आप पद पर बने रहें। हालांकि चंद्रशेखर जी का जवाब इतिहास के पन्नों में दर्ज है, उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह की जाती है, वहां घर नहीं बनाया जाता। इसके बाद उन्होंने कुर्सी छोड़ दी।
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