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UP News: संविधान में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्‍द जोड़े जाने पर क्‍या बोले अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज?

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द मूल रूप से हमारे संविधान में नहीं था, इसे बाद में सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए जोड़ा। इसलिए यह भारतीय संविधान की प्रकृति से मेल नहीं खाता।

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Vivek Srivastav
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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का फाइल फोटो। Photograph: (सोशल मीडिया)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। भारतीय संविधान में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्‍द को संविधान संशोधन के जरिए जोड़े जाने का मामला गरमाता जा रहा है। अब धर्माचार्य भी खुलकर इस मसले पर अपनी राय रख रहे हैं। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द मूल रूप से हमारे संविधान में नहीं था, इसे बाद में सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए जोड़ा गया। इसलिए यह भारतीय संविधान की प्रकृति से मेल नहीं खाता और यह मुद्दा बार-बार उठाया जाता है। 

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धर्म का मतलब बताया शंकराचार्य ने

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि धर्म का मतलब है, सही और गलत के बारे में सोचना और सही को अपनाना एवं गलत को अस्वीकार करना। धर्मनिरपेक्ष होने का मतलब है कि हमें सही या गलत से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसा किसी के जीवन में नहीं हो सकता। इसलिए यह शब्द भी सही नहीं है। 

गौरतलब है कि 'धर्मनिरपेक्ष' शब्‍द को संविधान संशोधन के जरिए जोड़े जाने को लेकर सत्‍ता पक्ष और विपक्ष में आजकल आरोप प्रत्‍यारोप का दौर चल रहा है। पिछले दिनों ही भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी 'धर्मनिरपेक्ष' शब्‍द को संविधान से हटाने की मांग की थी। वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि भाजपा व आरएसएस, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर के संविधान को मानते नहीं हैं, क्‍योंकि इसमें मनुस्मृति नहीं है।

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