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सीएम योगी का फाइल फोटो। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पहाड़ी और मैदानी इलाकों में लगातार भारी बारिश से प्रदेश के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं। योगी सरकार द्वारा लगातार इन इलाकों में युद्धस्तर पर राहत कार्य किये जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच और प्रशासनिक कुशलता से प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ का प्रभाव देखने को नहीं मिला है। इस बार लखीमपुर खीरी, सीतापुर, पीलीभीत, बाराबंकी समेत दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां बाढ़ का प्रकोप न के बराबर है। इसकी मुख्य वजह सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इन जिलों में बहने वाली नदियों में डेजिंग से नदियों का मूल स्वरूप वापस लौट आया और वह दोबारा अपने मूल प्रवाह में बहने लगीं। इसी के तहत शारदा नहर में डेजिंग की गई। इसका नतीजा यह रहा कि जहां पिछले कई वर्षों से शारदा नहर के तेज बहाव से बाढ़ से प्रभावित जिलों में इस बार बाढ़ का प्रकोप देखने को नहीं मिला और लाखों की जनसंख्या में जनमानस और खेतिहर भूमि पर बाढ़ का प्रभाव देखने को नहीं मिला। इतना ही नहीं डेजिंग कार्य से राजस्व को भी करोड़ों का फायदा हुआ।
वर्तमान में शारदा में बह रहा 4 लाख क्यूसेक पानी
प्रदेश के करीब 12 जिलों से होकर शारदा नहर प्रवाहित होती है। ऐसे में मानूसन के दौरान जब नेपाल में भारी बारिश होती है तो वहां से शारदा नहर में पानी छोड़ दिया जाता है, जिससे शारदा विकराल रूप धारण कर लेती है। वर्तमान में शारदा नहर में 4 लाख क्यूसेक पानी बहर रहा है। इससे प्रदेश के 12 जिलों में बहने वाली शारदा नहर के विकराल प्रवाह से काफी नुकसान होता है। सीएम योगी ने समस्या का संज्ञान लिया। साथ ही सीएम योगी ने लखीमपुर खीरी के शारदा नहर क्षेत्र में वर्षों से चल रही बांध निर्माण की कवायद को महज कुछ मिनटों में सुलझाकर यह साबित कर दिया कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और व्यवहारिक सूझबूझ से करोड़ों के प्रोजेक्ट को भी कम लागत में और समय रहते पूरा किया जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह निर्णय उनकी प्रशासनिक दक्षता, संवेदनशीलता और ग्रामीणों के हितों के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण बन गया है। उन्होंने यह दिखाया कि सरकार यदि चाहे तो लंबे समय से लटके हुए और जटिल मुद्दों का समाधान सरल, सस्ता और प्रभावी ढंग से निकाल सकती है। सीएम योगी की सूझबूझ से 180 करोड़ का प्रोजेक्ट महज 22 करोड़ में सिमट गया, समस्या का समाधान भी हो गया और लाखों किसानों और ग्रामीणों का फायदा हो गया। सीएम के निर्णय से शारदा नहर क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर है।
बाढ़ से करीब ढाई लाख लोग और 10 हजार हेक्टेयर खेतिहर भूमि हर साल होती थी प्रभावित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बैठक में उच्च अधिकारियों ने बताया था कि मानूसन के दौरान लखीमपुर खीरी की पलिया क्षेत्र बहने वाली शारदा नहर में पानी का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हर साल पलिया और निद्यासन क्षेत्र के लोग बाढ़ की समस्या से जूझते हैं। इसके साथ ही शारदा नहर के प्रवाह से 12 जिलों में बाढ़ का प्रकोप हर साल रहता है। अधिकारियों ने बताया कि यहां पर शारदा नहर और समपरती भूमि बराबर हो गयी है। इससे हर साल बाढ़ का पानी आस-पास के गांव, खेत और रेलवे लाइन को प्रभावित करता है। इससे प्रत्यक्ष रुप से 16 गांव की 80 हजार आबादी और अप्रत्यक्ष रूप से करीब डेढ़ लाख लोग प्रभावित होते हैं। वहीं हर साल 10 हजार हेक्टेयर से अधिक खेतिहर भूमि प्रभावित होती है। उन्होंने इस समस्या से निजात के लिए सीएम के सामने शारदा नहर पर मिट्टी का बांध बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सीएम योगी ने गहनता से समझा। उन्होंने बताया कि बांध के लिए 40 हेक्टेयर जमीन की जरुरत पड़ेगी। इसके लिए करीब 200 किसानों से जमीन अधिग्रहित करनी होगी। अधिकारियों ने मिट्टी के बांध बनाने की लागत 180 करोड़ बतायी।
सीएम ने बोला, शारदा की डेजिंग ही है स्थायी समाधान, नहीं होगी किसी को परेशानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा कि शारदा नहर का बहाव हमेशा काफी तेज रहता है और बारिश के दिनों में तो और अधिक बहाव हो जाता है। ऐसे में मिट्टी का बांध कब तक काम करेगा। इस पर अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा, क्या स्थानीय किसान अपनी जमीन देने को तैयार हैं। अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय किसान अधिग्रहण को लेकर राजी नहीं है, इसी वजह से वर्षों से समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले पर गहनता से सोचने के बाद अधिकारियों से कहा कि यदि शारदा नहर के करीब साढ़े सात किलोमीटर के क्षेत्र में डेजिंग कराई जाए तो क्या समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शारदा नहर और समपरती भूमि बराबर हो गयी है, इससे ही बाढ़ की समस्या हर साल उत्पन्न हो रही है। ऐसे में जहां पर हर साल बाढ़ की समस्या आती है, उस क्षेत्र यानी की साढ़े साल किलोमीटर लंबाई में डेजिंग की जाए तो नहर की गहराई होने से पानी एक बहाव मे बहेगा और बाढ़ नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि डेजिंग से शारदा वापस अपने स्वरूप में लौट आएगी और उसका जल प्रवाह एक धारा में हो जाएगा। इसके बाद शारदा का पानी मानसून के दौरान पलिया, निघासन और लखीमपुर खीरी की तरह नहीं जाएगा बल्कि सरयू में मिलकर आगे बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि चैनलाइज से पानी बिखरेगा नहीं और आगे बढ़ जाएगा। वहीं इससे किसान भी सुरक्षित रहेगा और उसकी खेती, घर, फसल, पशुधन भी सुरक्षित रहेगा। बाढ़ से जन-धन हानि नहीं होगी।
डेजिंग से नहर के पानी नियंत्रित मार्ग से बहने लगा, शारदा को मिला उसका पुराना स्वरूप
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से पूछा कि डेजिंग में कितना खर्च आएगा। इस पर उन्होंने बताया कि साढ़े सात किलोमीटर लंबाई की डेजिंग में 22 करोड़ का खर्च आएगा। इस पर सीएम ने अधिकारियों को तत्काल डेजिंग का काम शुरू करने के निर्देश दिये और बोले कि काम शुरू होने पर वह मौके का निरीक्षण करेंगे। सीएम के निर्देश पर अधिकारियों ने शारदा नहर पर डेजिंग का कार्य शुरू किया। इस दौरान सामने आया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने जैसा सोचा था, वैसा ही हुआ। सीएम योगी की दूरदर्शी सोच और प्रशासनिक कुशलता से वर्षों से लंबित समस्या का स्थायी समाधान हो गया। साथ ही प्रोजेक्ट की कास्ट भी 180 करोड़ से 22 करोड़ में सिमट गयी। सीएम योगी का यह निर्णय न केवल व्यवहारिक साबित हुआ, बल्कि लागत के लिहाज से भी कहीं अधिक किफायती सिद्ध हुआ। वर्तमान में डेजिंग का काम अपने अंतिम चरण में है। डेजिंग से नहर का पानी नियंत्रित मार्ग से बहने लगा है। इससे 16 गांव और आस-पास के किसानों ने राहत की सांस ली। इतना ही नहीं, उन्हें अपनी उपजाऊ जमीन बिना गंवाए, समस्या से निजात मिल गयी। सीएम योगी की सोच से गांवों की आर्थिक स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। डेजिंग से न केवल बाढ़ का समाधान मिला, बल्कि शारदा नहर को उसका पुराना रूप भी वापस मिल गया है। अब यह नहर अपने मूल बहाव में बह रही है, जिससे जलप्रवाह में सुधार हुआ है और आने वाले समय में सिंचाई की सुविधा भी बेहतर होगी।
स्थानीय जनता में खुशी की लहर: डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल
लखीमपुर खीरी जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने बताया कि सीएम योगी की पहल के बाद लखीमपुर खीरी के गांवों में खुशी की लहर है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह पहली बार है जब किसी ने जमीनी हकीकत को समझकर, बिना उनके अधिकारों को छीनें, इतनी बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल न केवल एक तकनीकी समाधान है, बल्कि ग्रामीण विकास और जनकल्याण की दिशा में एक प्रेरक उदाहरण भी है। यह बताता है कि शासन में दूरदर्शिता और संवेदना का मेल हो तो विकास के रास्ते सुगम बन जाते हैं।
एल्गिन ब्रिज में भी किया था यही काम
दरअसल, 2017 में सरयू नदी के एल्गिन ब्रिज क्षेत्र में भी ऐसी ही समस्या थी। हर साल इस क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए 115 करोड़ के ठेके दिए जाते थे। स्थानीय बड़े नेताओं के चाहने वाले इस काम को करते थे और सरकारी पैसा उड़ाते थे। सीएम योगी ने सरकार आने के बाद क्षेत्र का हवाई सर्वे किया और जमीन पर जाकर हकीकत जानी। सिंचाई विभाग को निर्देश दिए। विभाग की ओर से इस काम पर 2 डेजिंग मशीनों को लगाया गया। काम भी स्थायी तौर पर बन गया और लागत सिर्फ 5 करोड़ रह गयी। इससे न केवल इस क्षेत्र को 4 से 5 लाख क्यूसेक पानी से राहत मिली बल्कि सरकारी पैसे की भी बचत हुई और स्थायी समाधान मिला।
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