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ठौर तलाशते स्वामी प्रसाद Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में विधानसभा चुनाव भले ही 2027 में होना है लेकिन चुनावी कहानियां अभी से बनने लगी हैं। अब नई कहानी की पृष्ठभूमि तैयार करने में जुटे हैं पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य जो कभी बसपा का ओबीसी चेहरा रहे, कभी भाजपा का, कभी सपा का और अब चर्चा इस बात की है कि वह फिर बसपा में जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। यह अलग बात है कि यह सब कुछ बसपा सुप्रीमो मायावती की इच्छा पर निर्भर करेगा। मायावती कांशीराम की पुण्यतिथि पर नौ अक्टूबर को लखनऊ में रैली करने जा रही हैं और इसके संकेत हो सकता है, रैली में मिल जाएं।
अपना वजूद तलाश रहे स्वामी प्रसाद
स्वामी एक समय सियासत की मुख्य धारा में काफी आगे दिखाई पड़ते थे, लेकिन आज अलग-थलग हैं और अपने वजूद की तलाश में हैं। वह बसपा और भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं लेकिन दोनों ही दलों से उन्हें अलग होना पड़ा। कुछ दिन उन्होंने सपा में भी गुजारे और उसके बाद से अपनी जनता पार्टी बनाकर अलग-थलग पड़े हैं। वैसे तो वह स्वयंभू लोकमोर्चा के संयोजक हैं जिसमें नौ छोटे दल शामिल हैं लेकिन इन दलों का सामान्य लोगों ने शायद नाम भी नहीं सुना होगा। इसीलिए उन्हें किसी ऐसे दल की तलाश है, जिसका अपना वोट बैंक हो और वे अपने ओबीसी समर्थकों के सहारे फिर विधायक बनकर मुख्य धारा में दिखाई देने लगें। इसके लिए ही वह बसपा के कई नेताओं के संपर्क में बताए जाते हैं।
सपा-भाजपा के प्रति गरम तो मायावती के लिए नरम
हालांकि स्वामी प्रसाद के बयानों से भी इसके संकेत मिलते हैं। पिछले कुछ महीनों से उनके तेवर भाजपा और सपा के लिए सख्त हैं लेकिन बसपा प्रमुख मायावती के प्रति उनका रुख नरम दिखाई दे रहा है। पिछले दिनों उनका बयान आया था कि यदि मायावती बाबा साहेब आंबेडकर के मिशन पर चलती हैं तो उन्हें बसपा के साथ जाने में कोई हिचक नहीं। यहां तक कि उन्होंने बसपा प्रमुख की तारीफ करते हुए उन्हें अब तक बेहतर मुख्यमंत्री भी करार दे डाला है।
पहले कर चुके हैं मायावती के लिए तल्ख टिप्पणियां
लेकिन बसपा में जाने के लिए सिर्फ इतना ही काफी नहीं। बसपा छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती के बाद काफी तल्ख टिप्पणियां की थीं। यह सब बातें बसपा में उनकी वापसी की राह का रोड़ा हैं। मायावती संगठन में सख्त प्रशासक हैं और इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि उनके भतीजे आकाश आनंद और उनके श्वसुर अशोक सिद्धार्थ को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के बाद ही संगठन में दोबारा प्रवेश मिला।
बसपा छोड़ते ही गड़बड़ाई राजनीति
वैसे बसपा छोड़ने के बाद से ही स्वामी प्रसाद मौर्य की राजनीति गड़बड़ाई है। उन्हें अपने बड़बोलेपन
और विवादित बयानों का भी नुकसान उठाना पड़ा है। बसपा छोड़ने के बाद मौर्य मतों की चाह में भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और मंत्री भी बनाया लेकिन योगी सरकार में वह रुतबा न रहा। 2022 के चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा का दामन छोड़ा और सपा में शामिल हुए लेकिन चुनाव न जीत सके। सपा में भी वह अधिक दिन न रहे और अपनी अलग पार्टी बनाने के लिये उन्हें मजबूर होना पड़ा। तब से उनकी राजनीतिक पूछ घटती जा रही है। वैसे स्वामी के आने से बसपा का भी फायदा है और कुछ सीटों पर वह मजबूत दिखाई दे सकती है। यही वह गणित है जो शायद मायावती को स्वामी प्रसाद के प्रति नरम रुख अपनाने के लिए विवश कर दे।
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Mayawati | Swami Prasad Maurya | UP Politics
![]() यूपी में AAP निकालेगी पदयात्रा : संजय सिंह बोले- रोजगार के मामले में योगी सरकार जीरोलखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। आम आदमी पार्टी (आप) यूपी में रोजगार के मुद्दे को लेकर सरयू से संगम तक पदयात्रा निकालेगी। यह पदयात्रा आगामी 31 अक्टूबर को सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती से शुरू होगी और 15 नवंबर को समापन होगा। पदयात्रा में सांसद संजय सिंह के साथ बड़ी संख्या में प्रदेश के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल होंगे। पेपर लीक से लाखों नौजवानों का भविष्य बर्बादआप सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को लखनऊ में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश का युवा रोजगार मांग रहा है, लेकिन उसे सिर्फ पेपर लीक का सामना करना पड़ रहा है। लेखपाल, शिक्षक, सिपाही, दरोगा भर्ती के बाद अभी हाल में पीसीएस जे का पेपर भी लीक हो गया। उन्होंने कहा कि पेपर लीक के इस खेल से लाखों नौजवानों का भविष्य बर्बाद हो गया है। नौकरीपेशा भी समस्याओं से गुजर रहे हैं। कहीं शिक्षा मित्र आत्महत्या कर रहे हैं तो कहीं आंगनवाड़ी में कार्य करने वाली बहने संघर्ष कर रही हैं। यही नहीं शिक्षकों के लिए टीईटी पास करने का एक नया फरमान जारी कर दिया गया है। संजय सिंह ने कहा कि रोजगार के मामले में पूरा उत्तर प्रदेश आज जीरो पर खड़ा है। दलित और वंचितों का शोषणसंजय सिंह ने कहा कि प्रदेश में शोषित, वंचित और दलित लोगों की नौकरियों और आरक्षण पर डाका डाला जा रहा है। यही नहीं थानों और सरकारी विभागों में भी उनका उत्पीड़न हो रहा है। दलित शोषित और वंचित वर्ग के लोगों को अपना काम करने के लिए केवल रिश्वत देनी पड़ती है, बल्कि जातीय दंश भी झेलने पड़ रहा है। इसलिए सामाजिक न्याय की व्यवस्था उत्तर प्रदेश में लागू होनी चाहिए। अभी हाल ही में लखीमपुर में कॉपरेटिव बैंक में 27 पदों के सापेक्ष 15 ठाकुर, 4 ब्राह्मण की भर्ती कर आरक्षण घोटाला करते हुए दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज का हक मारा गया है। पदयात्रा के लिए सात सदस्यीय समिति गठितआप सांसद ने कहा कि पदयात्रा में हमारा नारा है "रोजगार दो सामाजिक न्याय दो"। उन्होंने कहा कि अयोध्या, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ और प्रयागराज से गुजरने वाली इस पदयात्रा के दौरान जगह-जगह सभाओं और जन संवाद के माध्यम से जनता के मुद्दों को सामने लाने का प्रयास किया जाएगा। लगभग 200 किलोमीटर की इस पदयात्रा में हमारे तीन प्रमुख प्रांत अयोध्या प्रांत, बौद्ध प्रांत और काशी प्रांत के साथी शामिल होंगे। इसके लिए 7 सदस्यीय समिति बनाई है, जिसमें निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह, निवर्तमान प्रदेश महासचिव दिनेश पटेल, बौद्ध प्रांत अध्यक्ष इमरान लतीफ, अयोध्या प्रांत अध्यक्ष विनय पटेल, काशी प्रांत अध्यक्ष पवन तिवारी, तिरंगा शाखा प्रमुख जनक प्रसाद और प्रदेश सचिव श्रद्धा चौरसिया को इस आयोजन समिति का सदस्य बनाया गया है, जिनकी देखरेख में यह पूरी पदयात्रा चलेगी। |