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UP Politics : SIR से समाजवादी पार्टी को क्या है डर, क्यों चला पीडीए का दांव ?

चुनाव आयोग के निर्देश पर उत्तर प्रदेश समेत 12 राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अगले हफ्ते से शुरू होना है, लेकिन इससे पहले ही प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।

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HARI SHANKAR MISHRA
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सपा कार्यकर्ताओं का फाइल फोटो। Photograph: (सोशल मीडिया)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। चुनाव आयोग के निर्देश पर उत्तर प्रदेश समेत 12 राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अगले हफ्ते से शुरू होना है, लेकिन इससे पहले ही प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद SIR तो होना निश्चित ही है, फिर भी सपा थोड़ी आशंकित है। उसे भय है कि कहीं मतदाता पुनरीक्षण अभियान में पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के नाम कटे तो सीधे तौर पर उसका नुकसान हो सकता है। इसीलिए पार्टी ने न सिर्फ SIR के औचित्य पर सवाल उठाया है, बल्कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन देकर 2003 से लेकर अब तक की वोटर लिस्ट की मांग भी की है। दूसरी ओर, भाजपा SIR के समर्थन में है और इसे आवश्यक मानती है।

विरोध के बहाने अखिलेश ने फिर खेला पीडीए का दांव

SIR की घोषणा के बाद ही सपा नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इसको लेकर प्रदर्शन भी किया गया, लेकिन, चूंकि अखिलेश यह देख चुके हैं कि बिहार में प्रबल विरोध के बाद भी अंततः SIR हुआ ही, अतएव उन्होंने रणनीतिक दृष्टि से इसका लाभ उठाने की कोशिशें भी तेज कर दीं। अखिलेश ने ऐलान किया कि मतदाता सूची की निगरानी के लिए उनकी पार्टी की ओर से पीडीए प्रहरी नियुक्त किए जाएंगे। प्रहरी के लिए पीडीए ही क्यों, इस सवाल के जवाब में ही यह निहित है कि अखिलेश अपने मतदाताओं के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि अभियान में सर्वाधिक नुकसान उनका हो सकता है। अखिलेश ने अपने मीडिया हैंडिल पर पोस्ट भी किया-सबको उसके वोट का अधिकार दिलाना है। हर वोट का प्रहरी बनकर लोकतंत्र को बचाना है-पीडीए प्रहरी।

आयोग के पाले में फेंकी मतदाता सूची की गेंद

यूपी में 1,62,486 बूथ हैं जिन पर SIR एक साथ शुरू होगा। इसे देखते हुए सपा ने मतदाता सूची का मसला भी उठाया है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने एक ज्ञापन भी मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपा है। इसमें मांग की गई है कि सभी राजनीतिक दलों को 2003 से लेकर अब तक की मतदाता सूची उपलब्ध कराई जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि 2003 के बाद कई पोलिंग स्टेशनों का पुनर्गठन हुआ है। बड़ी संख्या में मतदाताओं के बूथ और मतदान केंद्र बदल गए हैं। इन्हें चिह्नित किया जाना जरूरी है। उत्तर प्रदेश के 403 विधानसभा क्षेत्रों में 15 करोड़ 42 लाख मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज हैं। सपा की कोशिश है कि SIR को लेकर मतदाताओं में एक संदेह का वातावरण तैयार हो और इसीलिए उसने यह मुद्दा भी उठाया। हालांकि आयोग ने इस पर अभी कोई फैसला नहीं दिया है। 

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सांसद डिपल यादव ने भी SIR पर खड़े किए सवाल

इस बीच सपा सांसद और पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने भी SIR पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार SIR के नाम पर देश भर में दहशत का माहौल खड़ा करना चाहती है। जनता को SIR के नाम पर गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने SIR के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसके पीछे उसका मकसद क्या है। आयोग किसको लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा कर रहा है। जाहिर है कि सपा SIR को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है और उसकी कोशिश है कि 2027 के चुनाव तक यह भी एक बड़े मुद्दे में तब्दील हो जाए।

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