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उपभोक्ता परिषद का आरोप : सरकार, UPPCL और लापरवाह कार्मिक बिजली कं​पनियों की खस्ता हालत के जिम्मेदार

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाय हमेशा उन्हें बचाता रहा है।

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Deepak Yadav
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राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद

UPRVUP ने बिजली कं​पनियों की खस्ता हालत के लिए सरकार यूपीपीसीएल और कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कं​पनियों की खस्ता हालत के लिए सरकार और पावर कारपोरेशन के साथ लापरवाह और कामचोर कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया है। परिषद ने बिजली कंपनियों का निजीकरण करने के बजाय सख्त कदम उठाकर इनकी हालत सुधारने की सीएम योगी से मांग की है। इसमें परिषद सरकार का पूरा सहायोग करने को तैयार है। चूंकि निजीकरण के मौसदे में तमाम खामिया हैं। इससे केवल उद्योगपतियों को फायदा होगा। 

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बिजली खरीद में सबसे अधिक खर्च

उपभोक्ता परिषद के अनुसार, प्रदेश की सभी बिजली कंपनियां करीब 1 लाख 10 हजार करोड़ के घाटे में हैं। उपभोक्ताओं पर लगभग 1 लाख 15 हजार करोड़ बकाया है। दूसरी तरफ गुलेटरी एसेट से उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। सबसे ज्यादा खर्च बिजली खरीद में होता है। लगभग 75 हजार करोड़ की बिजली खरीदी जाती है। जिसमें 51 फीसदी फिक्स चार्ज है। 

सख्त कार्रवाई की आवश्यकता

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परिषद ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिजली कंपनियों की खस्ता हालत के लिए 60 फीसद सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन की ओर लिए गए गलत फैसले हैं। बाकी 40 फीसद बिजली कार्मिकों द्वारा अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन न किया जाना है। इन दोनों पहलुओं पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है। बिजली कंपनियों का निजीकरण कर उद्योगपतियों के हित में फैलसा लेना उचित नहीं होगा। इसके लिए उपभोक्ता परिषद खुली चर्चा करने को भी तैयार है।

समान कार्रवाई से सुधरेगी कंपनियों की हालत

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ने आरोप लगाते हुए कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाय हमेशा उन्हें बचाता रहा है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल के 42 जनपदों के निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन ने झूठा शपथ पत्र देकर टेंडर हासिल किया। लेकिन सच्चाई सामने आने के बाद भी अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और वह कंपनी अभी भी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि नियम और कानून संविदा कार्मिक, पावर कारपोरेशन और बिजली कंपनियों पर समान रूप से लागू हैं। दोनों पर समानता के आधार पर जब कार्रवाई होगी तो निश्चित तौर पर पारदर्शी नीति के तहत बिजली कंपनियों में की हालत सुधर जाएगी।

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