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आयोग की आपत्तियों से सरकार—पावर कारपोरेशन में उठापटक Photograph: (social media)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत नियामक आयोग की ओर से बिजली के निजीकरण मसौदे में कमियां निकालने के बाद पावर कारपोरेशन और सरकार के बीच भारी उठापटक चल रही है। सरकार पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों की बिजली निजी हाथों में सौंपने जा रही है। इस बीच अयोग की आपत्तियों के चलते मामला फिलहाल अटक गया है। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण के प्रस्ताव में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सरकार से सीबीआई जांच की मांग की है।
निजीकरण में धारा 108 का दुरुपयोग
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम धारा 108 के तहत प्रदेश सरकार को लोक महत्व के मामले में नियामक आयोग को निर्देश देने का अधिकार है। लेकिन इस धारा पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेश दिए हैं। जिसमें स्पष्ट है कि सरकार नियामक आयोग को आदेश मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। उसके बावजूद भी निजीकरण के प्रस्ताव में अहम पहलुओं पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत अयोग से सलाह मांगी गई। सरकार को फंसाने के लिए ऐसा किया गया।
लाइन लॉस में गोलमाल
वर्मा ने कहा आरोप लगाया कि नौकरशाह निजी घरानों को फायदा पहुंचने के लिए सरकारी संपत्ति औने-पौने दाम में बेचना चाहते हैं। इसमें सलाकार कंपनी ग्रांट थॉर्नटन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि निजीकरण के मसौदे में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को अगले पांच सालों में लान लॉस में तीन प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य दिया गया है। यानी वितरण हानियों के नाम पर बड़ा गोलमाल किया गया।
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