Advertisment

निजीकरण टेंडर प्रस्ताव के खिलाफ उपभोक्ता परिषद पहुंचा नियामक आयोग : कहा- पूरा मसौदा घोटाले का पुलिंदा

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों के निजीकरण से पहले राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण से मंजूरी लेना जरूरी है।

author-image
Deepak Yadav
upbhogta parishad

निजीकरण के लिए टेंडर प्रस्ताव का मामला पहुंचा नियामक आयोग Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत नियामक अयोग में दाखिल किए गए बिजली निजीकरण मसौदे का  उपभोक्ता परिषद ने विरोध किया है। परिषद ने सोमवार को आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल करते हुए निजीकरण से संबंधित पहले से दर्ज आपत्तियों पर कार्यवाही की मांग की। यह मुद्दा भी उठाया कि याचिकाओं पर विचार करने से साफ हो जाएगा कि प्रदेश सरकार का प्रस्ताव आसंवैधानिक और नियमों के विपरीत है।

निजीकरण से निजी घरानों को फायदा

उपभोक्ता संगठन ने निजीकरण के मसौदे को घोटाले का पुलिंदा बताया है। परिषद ने कहा कि बहुत ही चालाकी से सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन को लाया गया। जिससे प्रदेश की बिजली कंपनियों में सबसे सस्ता पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) निजी घरानों को मिल सके। इसके अलावा  पश्चिमांचल, मध्यांचल और केस्को की बिजली दरें भी निजी घरानों मिलें। यानी सस्ती बिजली खरीदकर निजी घरानों को दी जा सके। साथ ही टैरिफ सब्सिडी लगातार निजी घरानों को मिलती रहे। 

वितरण हानियों को बढ़ाकर दिखाया

Advertisment

परिषद के अनुसार, पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की इक्विटी को सिर्फ छह से सात हजार के बीच आंका गया। ताकि इन्हें कम कीमत में बेचा जा सके। इसके लिए रिजर्व प्राइस रखी जा रही है। वितरण हानियों को बढ़ाकर दिखाया जा रहा है। जिससे निजी घरानें दो साल में ही अपनी लागत निकाल लें। इसके साथ ही नई बिजली कंपनियों की नेटवर्थ के लिए भारत के कानून में ढील देने का निजीकरण के टेंडर में प्रस्ताव रखा गया है।

एनसीएलटी की मंजूरी जरूरी  

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण का प्रस्ताव तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ग्रांट को यह भी नहीं पता कि विद्युत अधिनियम 2003 आने के बाद कंपनी ला में संशोधन हुआ है। इसके तहत भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 232 में बिजली कंपनियों के निजीकरण से पहले राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से मंजूरी लेने का प्रावधान है। ऐसे में एनसीएलटी की हरी झंडी के बिना निजीकरण की कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।

Advertisment

यह भी पढ़ें- लखनऊ में दो नए कोरोना संक्रमित मिले, इतने हुए एक्टिव केस

यह भी पढ़ें- अमित शाह के केशव मौर्य को 'मेरा मित्र' कहने के सियासी मायने, कहीं पर निगाहें-कहीं पर निशाना

यह भी पढ़ें-प्रसव के बाद बिना सहमति कर दी महिला की नसबंदी, KGMU के पूर्व कुलपति समेत चार डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज

Advertisment

यह भी पढ़ें :UP कारागार विभाग में 11 अफसरों के तबादले, देखें किसे कहां भेजा गया

Advertisment
Advertisment