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निजीकरण पर सलाह से पहले उपभोक्ता परिषद पहुंचा नियामक आयोग Photograph: (social media)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।यूपी में बिजली निजीकरण की प्रक्रिया के बीच बृहस्पतिवार को विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में वाद दायर किया। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में देने के लिए आयोग की मंजूरी से पहले परिषद ने कहा कि निजीकरण का प्रस्ताव आसंवैधानिक है। इसके आधार पर बिजली कंपनियों का निजीकरण नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आयोग को इसे हरी झंडी नहीं देनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर वाद दायर किया। इसमें उन्होंने इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्सेस झाबुआ पावर लिमिटेड में मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत राज्य और केंद्र सरकार का निर्देश नियामक आयोग मानने के लिए बाध्य नहीं है।
आयोग को सौंपी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति
वर्मा ने कहा कि यूपी सरकार के ऊर्जा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए निजीकरण के लिए आयोग से विद्युत धारा 108 के तहत अभिमत मांगा है। अगर आयोग इस मसौदे अपनी राय देता है तो यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन होगा। इसके लिए विद्युत नियामक आयोग को अवमानना का दोषी ठहराया जा सकता है। परिषद अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की एक प्रति भी आयोग को सौंपी।
पांच साल बाद हिस्सेदारी वापस ले सकती है सरकार
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि निजीकरण का मसौदा विद्युत अधिनियम के कानूनी ढांचे में फिट नहीं बैठता है। बिजली कंपनियों को पांच साल में लाइन हानियां तीन प्रतिशत से भी कम कम करना होंगी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में यह स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार पांच साल बाद अपनी हिस्सेदारी वापस ले सकती है। जबकि अभी तक निजी घरानों का 51 प्रतिशत और 49 प्रतिशत शेयर उत्तर प्रदेश सरकार का होने का ढिंढोरा पीटा जा रहा था।
नई बिजली कंपनियां हो जायेंगी निजी घरानों की
अवधेश वर्मा ने कहा कि निजीकरण के बाद बनने वाली नई बिजली कंपनियों पर सरकार का नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। ऐसे में ये कंपनियां पूरी तरह निजी घरानों के कब्जे में चली जायेंगी। उन्होंने सवाल उठाया कि इस प्रकिया के बाद अरबों की सरकारी जमीन का क्या होगा। यह सरकारी सम्पत्ति का सुनियोजित सौदा लगा रहा है। इसकी सीबीआई जांच कराई जाए।
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