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बिहार में यूपी का महा मुकाबला Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिहार में पहले चरण का चुनाव समाप्त हो चुका है और 121 विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों का भाग्य जनता जनार्दन द्वारा लिखा जा चुका है। इस चरण में यूं तो प्रत्यक्ष लड़ाई महागठबंधन और एनडीए की बीच में हैं जिनका मुख्य चेहरा तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं लेकिन एक और महामुकाबला यूपी के दो राजनीतिक दिग्गजों के बीच है। अर्थात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बीच जो बिहार के रण में पूरी तरह कूद चुके हैं। दोनों के लिए ही यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है क्योंकि दोनों ने ही न सिर्फ दो दर्जन से अधिक चुनावी रैलियां की हैं बल्कि इनकी सभाओं की बड़ी मांग भी रही। यहां तक कि योगी और अखिलेश यादव दोनों को ही तय सभाओं से अधिक में जाना पड़ा है। अब महागठबंधन जीतता है तो जीत का श्रेय अखिलेश यादव को भी मिलेगा और एनडीए जीतता है तो योगी के प्रयासों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इनका मुकाबला यूपी के संदर्भ में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है और परिणाम कुछ हो लेकिन इसका यहां की राजनीति पर सीधा असर पड़ेगा।
बिहार के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं योगी और अखिलेश
सबसे पहले तो यही जानते हैं कि बिहार के लिए यह दोनों नेता इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं। यूपी और बिहार आठ जिलों की सीमा साझा करते हैं जिनमें 57 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें 19 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जो अपने रहन-सहन, परिवेश और संस्कृति और नाते-रिश्तेदारी की वजह से यूपी से प्रभावित होते हैं। यहां यूपी फैक्टर चलता है और इसीलिए इन विधानसभा क्षेत्रों में योगी और अखिलेश की मांग अधिक रही। सिर्फ वे ही नहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने भी भभुआ जिले से ही अपना अभियान शुरू किया जिसके कई क्षेत्र उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए हैं। हालांकि मायावती ने अपने अभियान की शुरूआत उस दिन से की है जबकि पहले चरण का मतदान शुरू हो चुका था।
जुबानी जंग ने राजनीतिक सीमा तोड़ी, कोई पीछे नहीं
चुनावी प्रचार के नजरिये से देखें तो पहले चरण में योगी और अखिलेश का मुकाबला बराबरी पर रहा। योगी ने कानून व्यवस्था के अपने नैरेटिव का सामने रखते हुए माफिया संस्कृति को संरक्षित करने का आरोप लगाया तो अखिलेश यादव अपने पीडीए नैरेटिव के साथ लोगों के बीच पहुंचे। योगी ने तेजस्वी और अखिलेश यादव की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये लोग राम मंदिर का विरोध करते हैं तो अखिलेश ने जवाबी मोर्चा खोला कि राम मंदिर के नाम पर राजनीति करने वालों को सपा के अवधेश प्रसाद ने हराया। बात यहीं तक नहीं रुकी, जुबानी जंग बढ़ी तो योगी ने पप्पू, अप्पू और टप्पू जैसै शब्दों के सहारे राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अखिलेश पर आक्रमण किया तो जवाब देने में वह भी नहीं चूके और गप्पू जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि भाजपा झूठे वादे करती है। योगी ने माफिया राज, जंगलराज, घुसपैठिए और विकास पर फोकस किया, साथ ही राम मंदिर और बुलडोजर एक्शन का जिक्र कर विपक्ष (RJD-कांग्रेस) पर हमले बोले तो अखिलेश ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने, नौकरियां देने और NDA पर हमले करने पर फोकस किया।
यूपी से दोनों नेताओं का अब तक का सबसे बड़ा प्रचार अभियान
अहम बात यह कि एनडीए के प्रचार अभियान की कमान यूपी के नेताओं की बड़ी फौज ने संभाल ऱखी है तो महागठबंधन का दारोमदार यूपी से अखिलेश यादव पर ही है। हालांकि उन्होंने राहुल गांधी के साथ रोड शो भी किया। कांग्रेस के कई नेता बिहार में दौड़ जरूर रहे हैं लेकिन हार-जीत का असर अखिलेश के राजनीतिक नैरेटिव पर ही पड़ने वाला है। समाजवादी पार्टी बिहार में किसी भी सीट पर चुनाव भले ही नहीं लड़ रही है लेकिन अखिलेश के दौरों को बिहार में अब तक के सबसे बड़े अभियान के रूप में देखा जा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अब तक की सबसे बड़ी संख्या में सभाएं कर रहे हैं। इंतजार कीजिए जल्द ही सामने आएगा कि दोनों नेताओं में किसकी मेहनत कितना रंग लाई।
2025 election Bihar | Akhilesh Yadav | CM Yogi Adityanath
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