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स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत बढ़ाने पर पावर कॉरपोरेशन यह दी सफाई Photograph: (Google)
विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कॉरपोरेशन के जवाब पर जताई आपत्ति
आयोग से यूपीपीसीएल के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत को लेकर उठे विवाद पर पावर कॉरपोरेशन ने शुक्रवार नियामक आयोग के नोटिस का जवाब दाखिल कर दिया। कॉरपोरेशन ने सफाई देते हुए कहा कि पूरे सिस्टम सहित स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत सात से नौ हजार रुपये के बीच आती है। इसके अलावा कॉस्ट डाटा बुक का प्रस्ताव आयोग से पास नहीं होने पर अंतरिम व्यवस्था के तहत प्रीपेड मीटर का शुल्क तय करने का तर्क दिया है। दरअसल, इस मामले में उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में याचिका लगाई थी। आयोग ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन को अवमानना नोटिस जारी का स्पष्टीकरण मांगा था।
आयोग ने 17 अक्टूबर को था नोटिस
सूबे में नए कनेक्शन के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करके उसकी एवज में उपभोक्ताओं से 6016 रुपये लिए जा रहे हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस पर सवाल उठाते हुए नियामक आयोग याचिका दाखिल की थी। आयोग ने 17 अक्टूबर को पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी करते हुए 15 दिन के भीतर जवाब मांगा था। कॉरपोरेशन ने आयोग में अपना जवाब एक दिन पहले ही दाखिल कर दिया है।
अंतरिम व्यवस्था पर उठाए सवाल
उपभोक्ता परिषद ने कारपोरेशन के जवाब पर अपत्ति जताते हुए अयोग ने विरोध प्रस्ताव दाखिल किया है। इसमें कहा कि पावर कॉरपोरेशन ने 10 सितंबर को जारी आदेश में नए बिजली कनेक्शन की लागत 1,032 रुपये से बढ़ाकर 6016 रुपये कर दी। परिषद ने सवाल उठाया कि अगर यह केवल अंतरिम व्यवस्था है तो फिर रेट को जस्टिफाई क्यों किया जा रहा है। इस मामले में फंसने पर कॉरपोरेशन अंतरिम व्यवस्था का हवाला दे रहा है।
यूपीपीसीएल कर रहा दोहरी वसूली
परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन अपने जवाब में खुद फंस गया है। एक तरफ उसका दावा है कि आरडीएसएस योजना के तहत पुराने कनेक्शन को स्मार्ट प्रीपेड मीटर में निशुल्क बदला जा रहा है। वहीं नए बिजली कनेक्शन पर धड़ल्ले से 6016 रुपये की वसूली की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक ​तरफ केंद्र से इस योजना के लिए अनुदान लिया जा रहा और दूसरी ओर उपभोक्ताओं से वसूली हो रही है। वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत नौ हजार रुपये तक बताया है। जबकि राजस्थान और अन्य कई राज्यों यही मीटर 2500 रुपये में लग रहे हैं।
कारपोरेशन का जवाब असंतोषजनक
अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन यह दावा कर रहा है कि 10 बार कॉस्ट डाटा बुक का प्रस्ताव भेजने के बावजूद स्वीकृत नहीं हुआ। लेकिन इसकी असल वजह कारपोरेशन की गड़बड़ी और गलत आंकड़े हैं। वर्मा के अनुसार, प्रस्ताव में जीएसटी की दरें दोगुनी और कुछ अन्य सामान के दाम जानबूझकर बढ़ाकर दर्शाए गए। यह गड़बड़ी परिषद ने उजागर की थी। इसी कारण प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि पावर कॉरपोरेशन का जवाब पूरी तरह असंतोषजनक है। ऐसे में आयोग को उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करनी चाहिए।
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