/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/22/electricity-priviatsation-2025-08-22-21-21-52.jpeg)
उपभोक्ता परिषद का आरोप निजीकरण के मसौदे में बड़ा भ्रष्टाचार
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण मसौदे में निकाली गईं कमियों पर पावर कारपोरेशन ने अभी तक भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) और नियामक आयोग को कोई जवाब नहीं दिया है। आयोग में निजीकरण मसौदे में गंभीर कमियां निकालने के बाद इसे वापस भेज दिया था। जबकि सीएजी ने जुलाई में यूपीपीसीएल से पत्रावली और अन्य कागजात तलब किए थे। वहीं राज्य विद्युत परिषद ने आरोप लगाया कि निजीकरण के मसौदे में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। सभी दस्तावेज सीएजी को भेजकर इसकी जांच कराई जाए।
निजी घरानों पहले अपनी बैलेंस शीट देखें
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि टाटा और अदाणी समूह के बयान सामने आए हैं कि यूपी में निजीकरण प्रक्रिया में शामिल होने के लिए पूरी तैयारी के साथ लगे हैं। उन्होंने कहा कि पहले निजी घरानें अपनी बैलेंस शीट की तरफ नजर दौड़ाएं। प्रदेश के 42 जनपदों को पांच बिजली कंपनियों में विभाजित करने के बाद उनकी सम्पत्तियों का सही मूल्यांकन किया जाए तो निजी घरानों एक साथ तीन जनपदों की बिजली व्यवस्था नहीं खरीद सकते।
बिजली कम्पनियों की सम्पत्तियों के मूल्यांकन में बड़ा खेल
वर्मा ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम की पर संपत्तियां लगभग 1 लाख करोड़ के आसपास हैं। यूपीपीसीएल के अफसर और ट्रांजेक्शन एडवाइजर कम्पनी के कर्मी बिजली कम्पनियों की सम्पत्तियों के मूल्यांकन में बड़ा खेल कर रहे हैं। वे सम्पत्तियों को कम करके दिखाने में दिमाग खपा रहे हैं। यूपी की बिजली कम्पनियों का सही आकलन किया जाए तो निजी घराने इसे खरीद नहीं सकते हैं।
Electricity Privatisation | UPRVUP
यह भी पढ़ें- लखनऊ में 24-25 अगस्त को होंगे यूपी प्रो हैंडबॉल लीग के ट्रायल