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उपभोक्ता परिषद ने उठाई स्मार्ट प्रीपेड मीटर का आदेश वापस लेने की मांग Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। दीपावली के त्योहार पर घर रोशनी से जगमगाते हैं। पर पावर कारपोरेशन की मनमानी से इस बार प्रदेश में हजारों घर अंधेरे में डूबे रह सकते हैं। इसकी वजह नए बिजली कनेक्शन के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर की बाध्यता है। इतना ही नहीं कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं से छह हजार रुपये वसूले जा रहे हैं। जबकि नियामक आयोग ने अभी तक नई दरें निर्धारित ही नहीं की हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
हजारों लोग नए कनेक्शन के लिए परेशान
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि दशहरा और दीपावली त्योहार नजदीक हैं। इस समय घरों में बिजली की जरुरत सबसे ज्यादा होती है। लेकिन पावर कारपोरेशन ने नया कनेक्शन सिर्फ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ देने का फरमान जारी किया है। ऐसे में प्रदेश के हजारों लोग नए कनेक्शन के लिए परेशान हैं।
नियामक आयोग ने कनेक्शन दरें नहीं की तय
वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने अभी तक कनेक्शन की दरें तय ही नहीं की हैं। इसके विपरीत उपभोक्ताओं से नये कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए छह हजार रुपये लिया जाना असंवैधानिक है। वर्मा ने कहा कि कनेक्शन की दरें कॉस्ट डाटा बुक के आधार पर तय होनी चाहिए। ताकि उपभोक्ताओं को पारदर्शी और सस्ती दरों पर सेवा मिल सके।
प्रीपेड मीटर का आदेश वापस लेने की मांग
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि पावर कारपोरेशन की मनमानी 'उपभोक्ता उत्पीड़न' की श्रेणी में आती है। जब तक स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमतें आयोग से तय नहीं की जातीं, तब तक मनमाना शुल्क थोपना उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है। उन्होंने प्रीपेड मीटर का आदेश वापस लेने की मांग उठाते हुए कहा कि पारंपरिक मीटरिंग के विकल्प के साथ उपभोक्ताओं को कनेक्शन उपलब्ध कराया जाए।
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