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अटल स्वर्णजयंती समारोह में गूंजा राष्ट्रधर्म का स्वर, वाजपेयी जी के सिद्धांतों को जीवन में उतारने का लिया संकल्प

पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने अटल जी की प्रसिद्ध कविता “हार नहीं मानूंगा...” का पाठ करते हुए कहा कि यह कविता नहीं, बल्कि हर संघर्षशील भारतवासी की आत्मगाथा है।

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Abhishek Mishra
Atal Golden Jubilee Celebration

अटल स्वर्णजयंती समारोह Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में आयोजित “अटल स्वर्णजयंती समारोह” शनिवार को एक राष्ट्रीय चेतना के नवोत्थान का मंच बन गया। समारोह में वाजपेयी जी की विराट चेतना, काव्यधर्म और सिद्धांतों को न केवल स्मरण किया गया, बल्कि उन्हें जीवन में उतारने का संकल्प भी लिया गया।

नेतृत्व, नीति और मानवता का अद्भुत समन्वय थे अटल जी

मुख्य अतिथि के रूप में कोयला एवं खनन राज्य मंत्री सतीश चंद दुबे और अध्यक्षता कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने अपने ओजस्वी संबोधनों में अटल जी के विचारों, जीवन मूल्यों और राष्ट्रीय दर्शन का विस्तार से स्मरण कराया। मंत्री सतीश चंद दुबे ने कहा की अटल जी का व्यक्तित्व राजनीति, कूटनीति और मानवता का अद्भुत समन्वय था। उनके फैसले आज के विकसित भारत की नींव बन चुके हैं। उन्होंने वाजपेयी जी की दूरदृष्टि को आज के भारत का दिशासूचक बताते हुए कहा कि उनका नेतृत्व देश को वैश्विक मंच पर नई प्रतिष्ठा दिलाने वाला था।

हार नहीं मानूंगा..संघर्षशील भारतवासी की आत्मगाथा

पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने अपने संबोधन की शुरुआत हाल ही में हुए विमान हादसे में मृतकों को श्रद्धांजलि देकर की। उन्होंने अटल जी की प्रसिद्ध कविता— “हार नहीं मानूंगा...” का पाठ करते हुए कहा कि यह कविता नहीं, बल्कि हर संघर्षशील भारतवासी की आत्मगाथा है। उन्होंने कहा की अटल जी राष्ट्र की आत्मा के कवि और संकल्प के सेनानी थे।”

सनातन चेतना और सांस्कृतिक गौरव का संदेश

समारोह में संत परंपरा की उपस्थिति भी विशेष रही। परम पूज्य दीपांकर जी महाराज ने कहा की काल के कपाल पर अब हिन्दू आत्मा का नया लेख लिखा जाएगा। उनका वक्तव्य सनातन संस्कृति, आत्मगौरव और विचारधारा को समर्पित था। ज्योतिषाचार्य अश्विनी भारद्वाज की वृंदावन संगीत प्रस्तुति ने कार्यक्रम में आध्यात्मिक ऊर्जा भर दी। कृष्ण के भक्ति और युग परिवर्तनकारी रूप को समर्पित इस प्रस्तुति ने सभागार को भावविभोर कर दिया।

पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे उनके विचार

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राजनीतिक और सामाजिक चिंतन का केंद्र बने इस समारोह में वरिष्ठ पत्रकार और 'चौथी दुनिया' के संपादक ने अपने वक्तव्य में कहा, “मैं सांसद बनने के लिए संपादक नहीं बना था।” यह पत्रकारिता के मूल धर्म और तटस्थता की ओर सारगर्भित संकेत था। सुनील भराला ने वाजपेयी जी को “प्रधान मति” बताते हुए कहा कि उनके विचार अमर हैं और पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।

समापन में गूंजा अटल जी के सिद्धांतों का संकल्प 

समारोह का समापन “एकता, संकल्प और सेवा भाव” के उद्घोष के साथ हुआ। मंच से स्पष्ट रूप से यह संदेश उभरा— “हम केवल अटल जी को स्मरण नहीं कर रहे, बल्कि उनके सिद्धांतों पर अटल रहने का संकल्प ले रहे हैं।” यह आयोजन न केवल स्मरण का क्षण था, बल्कि एक नए राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण की प्रेरणा भी बना।

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