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यूपी में प्राथमिक स्कूलों के विलय का रास्ता साफ Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के विलय का रास्ता साफ हो गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट (High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार के स्कूलों के विलय के आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को सोमवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर यह फैसला सुनाया।
याचियों ने आदेश रद्द करने का किया था आग्रह
इन याचिकाओं में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों को बच्चों की संख्या के आधार पर उच्च प्राथमिक या कंपोटिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान किया गया है। याचियों ने इस आदेश को रद्द करने का आग्रह किया था।
शिक्षा के अधिकार के उल्लंघन की दलील
याचियों ने दलील दी थी कि यह आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन है। उनका कहना था छोटे बच्चों के स्कूल दूर हो जाने से उन्हें परेशानी होगी। खासतौर पर यह दलील दी गई थी स्कूलों का विलय करने का सरकार का आदेश 6 से 14 साल की उम्र के बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है।
स्कूलों का विलय बच्चों के हित में
वहीं, राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि स्कूलों के विलय का फैसला बच्चों के हित के लिए किया गया है। इससे शैक्षिक संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित होगा। सरकार ने ऐसे 18 प्राथमिक स्कूलों का हवाला दिया था, जिनमें एक भी विद्यार्थी नहीं है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बीते शुक्रवार को फैसला सुरक्षित कर लिया था। इसे सोमवार की दोपहर को सुनाया।
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