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जब पूजा पाल के पति राजू को दौड़ा-दौड़ा कर मारी गईं थीं गोलियां

25 जनवरी 2005 को राजू पाल अपनी कार से से स्वरूप रानी अस्पताल से बाहर निकला तो कुछ कारों ने उसका पीछा शुरू कर दिया। सुलेम सराय में नेहरू पार्क के पास शूटरों ने उसे दौड़ा-दौड़ा कर गोलियां मारी।

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Deepak Yadav
pooja pal with her husband raju pal

जब पूजा पाल के पति राजू को दौड़ा-दौड़ा कर मारी गईं थीं गोलियां Photograph: (X)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टॉलरेंस जैसी नीतियां लागू करके मुझ जैसी कई महिलाओं को न्याय दिलाया, जिसके कारण अतीक अहमद जैसे अपराधी मारे गए। सब जानते हैं कि मेरे पति की हत्या किसने की... मैं मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे न्याय दिलाया और मेरी बात तब सुनी जब किसी और ने नहीं सुनी।' उत्तर प्रदेश की विधानसभा में विधायक पूजा पाल के इन शब्दों ने वर्ष 2005 की उस घटना की यादें फिर ताजा कर दीं जब तबके इलाहाबाद में उनके पति राजू पाल को दौड़ा-दौड़ा कर गोलियां मारी गईं थीं। इस घटना पूरे प्रदेश में भूचाल खड़ा कर दिया था और उसके बाद से ही पूजा पाल की राजनीतिक जमीन तैयार हुई थी। 

राजू पाल ने दी थी अतीक के साम्राज्य को चुनौती

प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में अतीक गिरोह पहले से ही सक्रिय था और राजनीतिक संरक्षण के बूते ताकतवर भी। इसी दौरान अतीक के विरोध में एक और अपराधी खड़ा हो रहा था जिसका नाम था राजू पाल। 2002 में राजू पाल पहली बार प्रयागराज पश्चिम विधानसभा सीट से अतीक अहमद के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया। 2004 में अतीक लोकसभा के फूलपुर सीट से सांसद बने और विधानसभा सीट अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ़ के लिए छोड़ दी. इस उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव के करीबी अतीक के सामने मायावती ने अतीक के कट्टर विरोधी राजू पाल को टिकट दिया. वस्तुतः लखनऊ में हुए गेस्टहाउस कांड के बाद मायावती हर हाल में अतीक से बदला लेना चाहती थीं और उन्हें यह बताया गया कि सिर्फ राजू ही अतीक के भाई को हरा सकता है। हुआ भी ऐसा ही। राजू पाल ने चार हजार से कुछ अधिक वोटों से खालिद अजीम उर्फ अशरफ को हरा दिया। यह अतीक के लिए बड़ी चोट थी क्योंकि इस सीट पर हमेशा उसका दबदबा रहा था। 

25 जनवरी 2005 : पूरे इलाहाबाद में सनसनी, बंद हो गए बाजार

चुनाव में हार के बाद से ही अशरफ बौखला गया और उसने राजू पाल पर हमले की तैयारी शुरू कर दी। जीत के बाद दो बार राजू पाल पर जानलेवा हमला हुआ लेकिन वह बाल-बाल बच गया। 25 जनवरी 2005 को राजू अपनी टोयोटा क्वालिस गाड़ी से स्वरूप रानी अस्पताल से बाहर निकला तो कुछ कारों ने उसका पीछा शुरू कर दिया। गाड़ी राजू खुद ही चला रहा था। पीछे कारों में उसके साथी भी थे। राजू का काफिला जैसे ही सुलेम सराय में नेहरू पार्क के पास पहुंचा अचानक एक मारुति वैन सामने आई और राजू को गाड़ी रोकनी पड़ी। इसी समय बड़ी संख्या में शूटरों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। राजू अपनी टोयोटा से निकल कर भागा लेकिन हमलावरों ने उसे दौड़ा-दौड़ा कर गोलियां मारी। इसमें उसके दो साथी और मारे गए। इस घटना की खबर मिलते ही पूरे इलाहाबाद में सनसनी फैल गई। बाजार बंद हो उठे और सड़ों पर कर्फ्यू सा सन्नाटा हो गया। 

नौ दिन पहले ही की थी पूजा पाल से शादी

विधायक बनने को कुछ दिनों बाद ही राजू पाल ने पूजा पाल से शादी कर ली थी। उसके पिता साइकिल मरम्मत का काम करते थे। विवाह के नौ दिन ही हुए थे कि यह हमला हो गया। इसके बाद ही पूजा पाल के लिए राजनीति के दरवाजे खुले और मायावती ने उन्हें टिकट देकर उम्मीदवार बनाया। उस चुनाव में तो पूजा पाल नहीं जीत सकीं लेकिन दोबारा टिकट मिलने पर उन्होंने जीत हासिल कर ली।

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