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विश्व रेबीज दिवस पर विशेष : लखनऊ में रोजाना 100 लोगों को काट रहे आवारा कुत्ते, खरोंच से भी रेबीज का खतरा

सरकारी अस्पतालों के आकंड़ों के मुताबिक, राजधानी में रोजाना 100 लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए आने वाले लोगों में करीब 25 फीसद बच्चे हैं।

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Deepak Yadav
dogs bite lucknow

लखनऊ में रोजाना 100 लोगों का काट रहे कुत्ते Photograph: (Google)

दीपक यादव

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। डॉक्टर भी कई घातक बीमारियों के आगे बेबस हो जाते हैं। रेबीस वायरस उनमें से एक है। यह संक्रमण मानव शरीर में प्रवेश कर गया तो संक्रमित की मौत तय है। कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों के इलाज में जहां आधुनिक चि​कित्सा प​द्धतियां कारगर है। वहीं समय पर वैक्सीनेशन ही रेबीज से एकमात्र बचाव है। रेबीज आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने, खरोंच और लार से फैलता है। वहीं  योगी सरकार ने प्रदेश में कुत्ते काटने के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए बड़ा कदम उठाया है। लेकिन लखनऊ में आवारा कुत्तों के जारी आतंक से सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। 

सितंबर में 3000 लोगों को कुत्तों ने काटा

सरकारी अस्पतालों के आकंड़ों के मुताबिक, राजधानी में रोजाना 100 लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए आने वाले लोगों में करीब 25 फीसद बच्चे हैं। सितंबर में करीब 3000 लोगों को आवारा कुतों ने काटा जो लोकबंधु, बलरामपुर और सिविल अस्पताल में एंटी रेबीज का टीका लगवाने पहुंचे। ये आंकड़े सिर्फ तीन सरकारी अस्पतालों के हैं। पीड़ित अन्य चिकित्सा संस्थानों में भी टीका लगवाने के लिए जाते हैं। 

लोकबंधु में रोजना 30 लोग लगवा रहे टीका 

तीनों सरकारी अस्पतालों में सितंबर में 3000 से अधिक लोगों ने रेबीज का पहला डोज लगवाया। लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एके त्रिपाठी ने बताया कि रोजाना 25 से 30 लोग एंटी रे​बीज का पहला टीका लगवाने पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि एंटी रेबीज के चार डोज दिए जाते हैं। सरकारी अस्पताल में ये टीका मुफ्त है, जबकि बाहर 350 से 500 रुपये तक फीस है। 

बलरामपुर अस्पताल में 1459 ने लगवाई वैक्सीन

बलरामपुर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि प्रतिदिन 30 से 35 लोग लोग एंटी रेबीज का पहला टीका लगवाने पहुंच रहे। जुलाई में 1758, अगस्त 1579 और सितंबर में 1459 यानी कुल 4769 पीड़ित इंजेक्शन लगवाने पहुंचे। हालांकि इनमें पुरानी मरीज भी शामिल हैं। ज्यादातर लोग पुराने लखनऊ, ऐशबाग, सदर, डालीगंज और निशातगंज क्षेत्र के हैं। वहीं, सिविल और बलरामपुर अस्पताल में भी करीब 35 लोग वैक्सीनेशन के लिए पहुंचते हैं। 

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खरोंच से भी फैल सकता है रेबीज

लोहिया संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और जनरल मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो. विक्रम सिंह के मुताबिक, रेबीज से संक्रमित होने के लिए घाव का गहरा होना जरूरी नहीं है। शरीर पर पहले से मौजूद हल्की खरोंच और आंख, नाक या मुंह के म्यूकस मेम्ब्रेन से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह हवा में तैर रही लार की सूक्ष्म बूंदों से भी फैल सकता है। कुत्ते की लार में मौजूद रेबीज वायरस से हाइड्रोफोबिया हो सकता है। यह एक लाइलाज बीमारी है। इसकी वजह से मरीज की मौत हो सकती है। उन्होंने बताया कि किसी जानवर ने काट लिया हो तो काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटॉल से साफ करें। इसके बाद बिना देर किए वैक्सीन लगवाएं।

24 घंटे के भीतर इंजेक्शन लगवाना जरूरी

प्रो. सिंह ने बताया कि आवारा कुत्ते, बिल्ली, बंदर या किसी भी जानवर के के काटने पर तुरंत एंटी रेबीज का टीका लगवाएं। 24 घंटे के अंदर इंजेक्शन लगवाना जरूरी है। समयसीमा पार करने पर रेबीज से बचाव के खिलाफ टीका कम असरदार साबित होता है। उन्होंने बताया कि रेबीज का वायरस जानवरों के लार में होता है, जो काटने के बाद इंसानों के शरीर में तेजी से फैल जाता है।

नर्वस सिस्टम पर सीधा हमला

वायरस सीधा संक्रमित व्यक्ति के नर्वस सिस्टम पर हमला करता है और स्पाइनल कार्ड व मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। इस प्रक्रिया में तीन से लेकर 12 हफ्ते का समय लग सकता है और कई बार तो साल भी लग जाते हैं, जिसे इनक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है। संक्रमण और लक्षणों के बीच के समय (इनक्यूबेशन पीरियड) में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है, लेकिन वायरस के दिमाग तक पहुंचने के बाद मरीज की जान बचाना मुश्किल होता है।

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योगी सरकार ने तय की अनूठी सजा

यूपी सरकार ने कुत्ते काटने के बढ़ रहे मामलों को गंभीरता से लेते हुए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने बीते दिनों आदेश जारी कर हमलावर और हिंसक हो चुके कुत्तों के लिए अनूठी सजा तय की। इसके तहत पहली बार इंसान को काटने वाले कुत्ते को 10 दिन के लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर में रखा जाएगा। इसके बाद उसके ऊपर एक माइक्रोचिप लगाकर उसे छोड़ दिया जाएगा। दोबारा काटने पर कुत्ते को उम्रकैद की सजा मिलेगी। उसे जीवनभर एबीसी सेंटर में बने शेल्टर हाउस में ही रखा जाएगा।

2030 तक रेबीज मुक्त भारत 

सर्वे के मुताबिक, साल 2024 में देश में 22 लाख से अधिक कुत्ते के काटने के मामले और 5 लाख से अधिक अन्य जानवरों के काटने के मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से लगभग 20 प्रतिशत मामले 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों के थे। केन्द्र सरकार ने सरकार ने 2030 तक 'रेबीज मुक्त भारत' बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) के तहत टीकाकरण, नसबंदी, और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया जा रहा है।

28 सितंबर को मनाया जाता है विश्व रेबीज दिवस

इसी जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने और इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए हर साल 28 सितंबर को 'वर्ल्ड रेबीज डे' (World Rabies Day 2025) मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 2007 में लायन हार्ट्स फाउंडेशन और सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की साझेदारी में हुई थी। इस दिन को मनाने के लिए 28 सितंबर की तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि यह महान वैज्ञानिक लुई पाश्चर की पुण्यतिथि है। लुई पाश्चर ने ही रेबीज की पहली वैक्सीन विकसित की थी, जिसने लाखों लोगों की जान बचाई। यह दिन उनके योगदान को याद करने और रेबीज के बारे में जागरूकता फैलाने का एक तरीका है।

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 Health News | (World Rabies Day 2025

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