महाकुंभ को लेकर देश और विदेश के श्रद्धालुओं में बड़ा उत्साह है। हर कोई पवित्र त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाना चाहता है। पूरी दुनिया संगम तट के दीदार को आतुर है, हो भी क्यों न, मौका ही ऐसा है। दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन, करीब 144 वर्षों बाद बना संयोग, आस्था का समागम, ये सब बातें हर किसी के मन में पवित्र त्रिवेणी संगम पर होने की हसरतों को जन्म दे रही हैं, लेकिन थोड़ा सोचिए और विवेक से काम लीजिए। यहां रोजाना अनगिनत श्रद्धालु स्नान करने पहुंच रहे हैं। बेशक व्यवस्था करोड़ों के लिए की गई है, लेकिन उसकी भी एक सीमा है। बस इतनी सी बात समझ लेंगे तो सारी तकलीफ दूर हो जाएगी, आपकी भी, प्रशासन की भी। आईए आपको बताते हैं कि महाकुंभ आने से पहले आपको अपने विवेक से काम क्यों लेना चाहिए।
प्रशासन लगातार कर रहा अनाउंसमेंट
शनिवार और रविवार को एक बार फिर संगम तट की ओर जाने वाले सभी मार्ग छोटे पड़ गए। सभी हाईवे वाहनों से पटे पड़े हैं। प्रयागराज के चारों ओर 30 से 35 किमी तक लंबा जाम हर हाईवे पर लगा है। शनिवार से ही संगम तट पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती देख पुलिस एक्शन में आ गई थी और लोगों को वहां ज्यादा देर न रुकने के लिए आगाह कर रही थी, लेकिन काफी लोग ऐसे हैं जो आस्था के इस महाकुंभ को पिकनिक प्लेस में बदल दे रहे हैं, फोटो, सेल्फी और रील बनाने में लगे हैं। बेशक अधिकतर लोग आस्था के चलते संगम पहुंच रहे हैं और पिकनिक के लिए जाने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है, लेकिन व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए काफी है।
प्रशासन को कोसने का नहीं सहयोग का समय
सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो और दूसरे कंटेंट मिल जाएंगे, जिनमें महाकुंभ में व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन को कोसा जा रहा है, लेकिन जब पूरी दुनिया की नजर हमारे इस आयोजन पर है तो यह समय प्रशासन को कोसने का नहीं सहयोग करने का है। वैसे भी जन सहयोग के बिना कोई भी प्रशासन किसी भी आयोजन का सफल नहीं बना सकता, यह बात गांठ बांध लीजिए। महाकुंभ तो दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन है जो जन सहयोग के बिना सफल होना संभव ही नहीं है। अब आपके विवेक के इस्तेमाल की बारी है, कार्यक्रम बनाने से पहले अपने विवेक से यह जरूर पूछें कि आपको महाकुंभ कब और कैसे जाना चाहिए।
कोसने का काम विपक्ष पर छोड़िए
विपक्ष यदि महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर प्रशासन या सरकार को कोस रहा है तो यह उसका काम है, उसे करने दीजिए। आपको तो बस इतना ही सोचना है कि कोई भी व्यवस्था कितनी भी बड़ी क्यों न हो, असीमित नहीं हो सकती। उसकी सीमा तो होगी ही। सोशल मीडिया पर आपको उन पुलिस वालों के वीडियो भी मिल रहे होंगे जो लगातार, बिना दिन रात देखे ट्रैफिक कंट्रोल करने में लगे हैं, महाकुंभ की ओर आने वाली सड़कों पर फंसे वाहन स्वामियों से वापस लौटने का आह्वान कर रहे हैं, आप चाहें तो यह मान सकते हैं कि प्रशासन और सरकार न्यौता देने के बाद यह सही नहीं कर रही है, लेकिन असल स्थिति यह है कि यह सब व्यवस्था का हिस्सा है और पुलिस व्यवस्था बनाने के लिए ही यह सब कर रही है। पुलिस की इस अपील को गंभीरता से लेने की जरूरत है, न कि खिल्ली उड़ाने की।