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महाकुंभ में नागा दीक्षा Photograph: (Google)
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महाकुंभ नगर, वाईबीएन नेटवर्क।
बसंत पंचमी पर इस महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान सोमवार को होगा, उससे पहले जूना अखाड़े का कुनबा बढ़ गया है। जूना अखाड़े में 200 नागा सन्यासी शामिल किए गए हैं, इनमें 20 महिलाएं भी शामिल हैं। बता दें संख्या के मामले में जूना अखाड़ा ही सबसे बड़ा है। शनिवार को त्रिवेणी बांध आचार्य कुटीर के पास 200 संतों का नागा दीक्षा दी गई। इससे पहले त्रिवेणी बांध पर सभी संतों ने स्नान करने के बाद अपना पिंड दान किया।
20 महिलाएं भी शामिल रहीं
इस मौके पर नागा दीक्षा प्राप्त करने वाले संतों में 20 महिलाएं भी शामिल रहीं। दीक्षा पाने वाले सभी संत बसंत पंचमी के पावन अवसर पर धर्म ध्वजा के नीचे स्नान करेंगे। 19 जनवरी को महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े को 500 संतों को नागा दीक्षा दी गई थी, वहीं जूना अखाड़े में करीब 100 महिलाओं को नागा संत बनाया था, इनमें तीन विदेशी महिलाएं भी शामिल थीं।
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निरंजनी अखाड़े में दो महामंडलेश्वर बने
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महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनने का क्रम जारी है। अब निरंजनी अखाड़े में दो महामंडलेश्वर बनाए गए हैं। निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी कैलाशनाथ गिरि की अध्यक्षता और पंच परमेश्वर एवं संतों के सानिध्य में ऑस्ट्रेलिया से स्वामी विज्ञानानंद गिरि और वृदावन से साध्वी पुष्पांजलि गिरि को पट्टामिषेक कर महामंडलेश्वर बनाया गया है और धर्म ध्वजा के नीचे अभिषेक किया गया।
ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनी थीं
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बॉलीवुड को अलविदा कहकर साध्वी को चोला धारण करने वाली ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद अखाड़ों में खूब बखेड़ा हुआ था। उन्होंने 24 जनवरी को दीक्षा ली और अपना पिंडदान किया था, ममता कुलकर्णी को अब श्री यमई ममता नंदगिरी का नाम मिला है।
इन महान संतों की रही मौजूदगी
दोनों संतों के पट्टाभिषेक कार्यक्रम के दौरान मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी, महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि, अखाड़े के सचिव श्रीमहंत राम रतन गिरि, महंत ओमकार गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी निरंजन ज्योति, महामंडलेश्वर स्वामी महेशानंद और महंत राधे गिरि आदि की पवित्र मौजूदगी रही। महामंडलेश्वर बनाए गए संतों को धर्म ध्वजा के नीचे चादर ओढ़ाई गई।
कौन होते हैं महामंडलेश्वर
सनातन धर्म में सबसे बड़ा कद शंकराचार्य का होता है। शंकराचार्य के बाद दूसरा बड़ा पद महामंडलेश्वर कहलाता है। अखाड़ों के यह पद सबसे बड़ा होता है, हालांकि कुछ अखाड़ों में महामंडलेश्वर के ऊपर आचार्य महामंडलेश्वर या द्वाराचार्य बनाने की भी प्रथा है। महामंडलेश्वर की सवारी चांदी के सिंहासन पर छत्र चंवर लगाकर निकाली जाती है। इस पद पर आसीन होने से पहले पांच स्तरीय परीक्षण से गुजरना होता है, जहां उनके ज्ञान और वैराग्य की परीक्षा होती है।
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