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Photograph: (Moradabad)
मुरादाबाद वाईवीएन संवाददाता।बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक समायोजन को लेकर एक बार फिर मनमानी और सेटिंग-गेटिंग का खेल सामने आया है। शासन के स्पष्ट निर्देशों और आरटीई (RTE) के मानकों के बावजूद सरप्लस शिक्षक घोषित करने में पारदर्शिता नहीं बरती गई। नतीजा ये हुआ कि कहीं पांच से सात तक शिक्षक सरप्लस हो गए, तो कहीं एक भी नहीं, जबकि वहां छात्र संख्या काफी कम है।
छात्र कम, शिक्षक ज्यादा फिर भी रसूखदार स्कूलों पर नहीं आई आंच
हाल ही में विभाग ने स्कूलों में दर्ज छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों की आवश्यकता तय की और अनुपात से अधिक शिक्षकों को सरप्लस घोषित कर अन्य स्कूलों में समायोजित करने की प्रक्रिया शुरू की। लेकिन आंकड़ों की हेराफेरी और रसूखदारों की पैरवी से सारा सिस्टम ही डगमगा गया है। छजलैट ब्लॉक के दयानाथपुर में 4, भगतपुर के कन्या पूर्वी कोटला में 5, डीलारी के गखरपुर में 7, कुंदरकी के धकिया जुम्मा में 4, मुरादाबाद के ढिंढोरी में 4, मुंडापांडे के रामपुर भीला में 4 और लड़ावली व छोटा रसूलपुर में भी 4-4 शिक्षक सरप्लस घोषित किए गए हैं।
वहीं दूसरी ओर, बेलों वाली मिलक (मुरादाबाद ग्रामीण) में मात्र 7 छात्र हैं, फिर भी यहां एक हेडमास्टर को 150 छात्रों के आधार पर सरप्लस दिखा दिया गया, जबकि वहीं दो सहायक शिक्षक काम कर रहे हैं, जिन्हें सरप्लस नहीं माना गया। इसके उलट बिजना मिलक में 26 छात्र संख्या पर दो शिक्षक सरप्लस घोषित कर दिए गए। ये विरोधाभास गहरे संदेह को जन्म दे रहे हैं।
रसूखदारों के स्कूल बचे रहे लिस्ट से बाहर
विभागीय सूत्रों की मानें तो सरप्लस की लिस्ट तैयार करते समय रसूखदारों का विशेष ख्याल रखा गया। भाजपा जिलाध्यक्ष आकाशपाल की पत्नी भगतपुर के स्कूल में, सपा जिलाध्यक्ष जयवीर यादव और एमएलसी गोपाल अनजान की पत्नी मुंडापांडे के स्कूल में कार्यरत हैं। पूर्व बीएसए गजेन्द्र सिंह की पत्नी भी मुरादाबाद के एक स्कूल में तैनात हैं। इनके स्कूलों को सरप्लस की लिस्ट से बाहर रखा गया, जबकि शहर के ही एक स्कूल में यूनियन लीडर राकेश कौशिक के प्रभाव के चलते 10 शिक्षक तैनात हैं, फिर भी किसी को नहीं हटाया गया।
दो बाबुओं के भरोसे पूरा विभाग
बीएसए कार्यालय में परिषद अनुभाग से जुड़े दो बाबुओं के जिम्मे ही ये पूरी प्रक्रिया है। विभाग के ही कुछ लोगों का आरोप है कि ये दोनों बाबू बीएसए के खासमखास हैं और जिलाधिकारी के आदेशों के बावजूद इन्हें हटाया नहीं गया। इन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के भी गंभीर आरोप हैं। अब सवाल ये है कि जब शिक्षक व्यवस्था में पारदर्शिता और न्याय की बात होती है, तब क्या रसूख और सियासी पहुंच उसके रास्ते में दीवार बनती रहेगी? यदि मामले की गहराई से
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