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Photograph: (moradabad)
मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता शासन द्वारा विद्यालयों को पेयरिंग करने के आदेश के बाद अब कुछ विद्यालयों को पूर्व की भांति यथावत संचालन के निर्देश दिए गए हैं। इससे न केवल अध्यापकों को बल्कि अभिभावकों को भी बड़ी राहत मिली है। जिन विद्यालयों को पेयरिंग सूची से बाहर किया गया है, वहां पढ़ने वाले बच्चों और शिक्षकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
बच्चों के अभिभावकों ने सरकार का आभार व्यक्त किया
छजलैट ब्लॉक के चक हमीदपुर प्राथमिक विद्यालय में शनिवार को उत्साहपूर्ण माहौल देखने को मिला। बच्चों के अभिभावकों ने सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय बच्चों के भविष्य के लिए बहुत ही सकारात्मक है। विद्यालय में तैनात शिक्षामित्र रेशु रानी ने बताया कि सहायक अध्यापक बीएलओ के कार्य में व्यस्त होने से विद्यालय में अनुपस्थित रहते हैं। पहले पेयरिंग के कारण बच्चों को ढाई किलोमीटर दूर चक मधुपुरी भेजना पड़ता था। वहां तक पहुँचने में कई दिक्कतें थीं।
खराब सड़क, रिक्शा चालकों द्वारा बच्चों को गांव के बाहर ही उतार देना, और छोटे बच्चों का पैदल चलना मजबूरी बन गया था। इन परिस्थितियों के कारण अभिभावक बच्चों को भेजने से हिचकिचा रहे थे।उन्होंने कहा कि अब चक हमीदपुर विद्यालय को पेयरिंग सूची से बाहर कर दिया गया है। इससे बच्चों को अपने ही गांव के विद्यालय में पढ़ाई का अवसर मिलेगा। अभिभावकों और बच्चों ने इस फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
बातचीत के दौरान बोले अभिभावक
मेरी एक बच्चों विद्यालय में तीसरी कक्षा में पढ़ता है। जब विद्यालय को दो से ढाई किलोमीटर दूर दूसरे गांव के विद्यालय में मर्ज करने की बात सामने आई तो लगा की अब बच्चों पढ़ाना मुश्किल हो जाएगा। बच्चों के वहां तक भेजने 500 रुपये ई रिक्शा चालक मांग रहे थे। लेकिन बच्चों के लिए देने पढ़े।
संध्या बिश्नोई, अभिभावक
दोनोंबच्चों को गांव प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाया एक बच्चा 5 वीं कक्षा पास दूसरे स्कूल में चला गया एक बच्चों दूसरी कक्षा में विद्यालय गांव से जाने बात ने समस्या खड़ी कर दी थी। लेकिन सरकार के दोबार फैसले ने हम जैसे वर्ग के लोगों बच्चों को पढ़ाई में राहत दी है।
अरविंदकुमार, अभिभावक
शिक्षा मित्र के पद पर बच्चों को विद्यालय में शिक्षा दे रही हूं,दूर गांव में विद्यालय मर्ज होने के बाद बच्चों को अभिभावक वहां भेजने के लिए राजी नहीं थे। जिसके बा बड़ी मुश्किल से उन्हे राजी किया गया। लेकिन चकमधुपुरी प्राथमिक विद्यालय तक जाने में बच्चों और हमें बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
रेशु रानी, शिक्षा मित्र
मेरा बेटा हिमांशु दूसरी कक्षा पड़ता है, स्कूल के गांव से जाने की बात ने बच्चे की पढ़ाई पर संकट पैदा कर दिया था। लेकिन अब सरकार ने स्कूल गांव में संचालित करने के आदेश के दिया तो लगा मेरा बेटी पढ़ाई कर लेगा।
मुकेश कुमार, अभिभावक
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