मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।
तीन साल का बकाया जीएसटी चुकाने के लिए कारोबारियों को एमनेस्टी स्कीम का केंद्र सरकार की ओर से जो एलान किया गया था, उसका कारोबारियों ने लाभ उठाया। एमनेस्टी स्कीम के तहत वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन काफी संख्या में व्यापारियों ने टैक्स जमा कराया। स्कीम के अंतर्गत राज्य कर के मुरादाबाद जोन में बकाया टैक्स के रूप में पैंतीस करोड़ रुपये की धनराशि जमा हुई। प्रदेश में इस स्कीम के अंतर्गत करीब साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये का टैक्स जमा हुआ। शासन की तरफ से व्यापारियों को बकाया टैक्स बिना ब्याज और पेनाल्टी के चुकाने के लिए लागू की गई इस स्कीम का विभाग की ओर से काफी जोरशोर से प्रचार किया गया था।
कल होगा वास्तविक आंकलन
राज्य कर के मुरादाबाद जोन के एडिशनल कमिश्नर आरएस द्विवेदी ने बताया कि योजना के अंतर्गत बकाया जमा होने के मामले में प्रदेश में मुरादाबाद जोन का उल्लेखनीय योगदान दर्ज किया गया है। 31 मार्च तक घोषित इस स्कीम के अंतर्गत अंतिम दिन टैक्स जमा होने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। इस वजह से स्कीम में जमा हुए टैक्स की वास्तविक धनराशि का आकलन मंगलवार तक हो सकेगा।
बढ़ भी सकती है टैक्स जमा होने की राशि
संभव है कि पूर्ण आंकलन के बाद जमा हुए टैक्स की धनराशि का आंकड़ा और ज्यादा बढ़ जाए। एडिशनल कमिश्नर आरएस द्विवेदी ने बताया कि स्कीम का लाभ ऐसे व्यापारियों ने अधिक संख्या में उठाया जिन पर बकाया टैक्स की धनराशि अधिक नहीं थी, मगर पेनाल्टी और ब्याज की वजह से वह इसे चुकाने का ज्यादा भार महसूस कर रहे थे। बड़ी धनराशि के टैक्स के कई बकायेदारों ने स्कीम का लाभ लेने के बजाय अपील में जाना ज्यादा मुनासिब समझा अन्यथा जमा हुए टैक्स की धनराशि इससे कई गुना अधिक हो सकती थी।
जाने क्या है जीएसटी एमनेस्टी
जीएसटी कर मांग आदेश के खिलाफ जीएसटी एमनेस्टी योजना के तहत अपील दायर करने के लिए जीएसटी फॉर्म एपीएल-01 का उपयोग किया जाता। उपरोक्त अधिनियम की धारा 107 की उपधारा (1) के अनुसार, संबंधित व्यक्ति को अधिसूचना में सीबीआईसी द्वारा बताए गए अनुसार फॉर्म जीएसटी एपीएल-01 में उक्त आदेश के खिलाफ अपील दायर करनी होती है। एमनेस्टी स्कीम के तहत जीएसटी एपीएल-01 फॉर्म दाखिल करने के लिए करदाता को निम्नलिखित कार्य करने होंगे। करदाता को यह निर्धारित करना होगा कि कर नोटिस प्राप्त करने के बाद वह पूरी तरह या आंशिक रूप से गलत है या नहीं। यदि करदाता जीएसटी डिमांड नोटिस से सहमत नहीं है, तो उन्हें विवादित राशि का 12.5% जीएसटी विभाग के पास जमा करना होता है। विवादित राशि 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।