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Photograph: (moradabad)
मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता मुरादाबाद में हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद ने भारत सरकार और जीएसटी परिषद से हस्तशिल्प और हथकरघा वस्तुओं पर जीएसटी दरों को एक समान पांच प्रतिशत लगाने की मांग की। परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि यह क्षेत्र कुटीर उद्योग प्रकृति का है, जो लाखों कारीगरों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की आजीविका का आधार है।
हस्तशिल्प को सामग्री के आधार पर कई एचएस कोड अध्यायों में वर्गीकृत किया गया
सभी हस्तशिल्प वस्तुओं पर एक समान पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने से प्रामाणिक हस्तनिर्मित उत्पाद ज्यादा भारतीय परिवारों की पहुंच में आ जाएंगे।ईपीसीएच के मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष व महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि हस्तशिल्प को सामग्री के आधार पर कई एचएस कोड अध्यायों में वर्गीकृत किया गया है। यह कीमतें बढ़ाता है, वर्गीकरण अनिश्चितताओं को पैदा करता है।कारीगरों और एमएसएमई की कार्यशील पूंजी को अवरुद्ध करता है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आरके वर्मा ने कहा कि दरों को पांच प्रतिशत तक तर्कसंगत बनाने से सूक्ष्म उद्यमों के मार्जिन में सीधे तौर पर सुधार होता है। कच्चे माल के लिए नकदी उपलब्ध होती
अमेरिकी टैरिफ की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण निर्यात अनिश्चितता बढ़ गई है
ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा कि हाल ही में अमेरिकी टैरिफ की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण निर्यात अनिश्चितता बढ़ गई है। ऐसे में ईपीसीएच के साथ उद्योग और क्लस्टर निकायों के व्यापक संघों में मुरादाबाद से यंग एंटरप्रेन्योर सोसाइटी (वाईईएस), मुरादाबाद हस्तशिल्प निर्यातक संघ (एमएचईए), कारीगर सोसायटी शामिल हुए। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा से इंडिया एक्सपो मार्ट लिमिटेड (आईईएमएल), जोधपुर से जोधपुर हस्तशिल्प निर्यातक महासंघ (जेएचईएफ), जयपुर से फेडरेशन ऑफ राजस्थान हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स (फोरहेक्स) आदि मौजूद रहे।
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