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Moradabad: मुरादाबाद आए और जलेवा नहीं खाया, तो क्या खाक मुरादाबाद आए

Moradabad: मुरादाबाद की गलियों में घुसते ही अगर किसी चीज़ की खुशबू आपको खींच लाए, तो समझ लीजिए कि राजा भाई का जलेवा तैयार है। जी हां, ये जलेबी जैसी दिखने वाली मिठाई है

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Anupam Singh
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Muradabad Jaleba
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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।मुरादाबाद की गलियों में घुसते ही अगर किसी चीज़ की खुशबू आपको खींच लाए, तो समझ लीजिए कि राजा भाई का जलेवा तैयार है। जी हां, ये जलेबी जैसी दिखने वाली मिठाई है, लेकिन इसका स्वाद है बिल्कुल अलग  ऐसा कि एक बार खा लिया, तो अगली बार नाम लेकर मांगेंगे – “भाई, वही वाला जलेवा देना जो राजा भाई बनाते हैं।”

22 साल से चले आ रहा है ये मीठा सिलसिला

मंडी समिति के गेट पर ये ठेला कोई नया नहीं है। बीसियों साल पहले राजा के पिता यहां ठेला लगाया करते थे। ऐसे जलेवा बनाते थे कि लोग दूर-दूर से आते थे। अब उनके बेटे राजा ने वही जिम्मेदारी संभाल ली है – और स्वाद? बिलकुल वैसा ही जैसे पहले था। कुछ चीज़ें वक़्त के साथ नहीं बदलतीं, ये जलेवा भी उन्हीं में से एक है।

सुबह से रात तक जलेवा टाइम

राजा भाई का ठेला सुबह 7 बजे लग जाता है, और रात 11 बजे तक मिठास का सिलसिला चलता है। कोई नाश्ते में खाता है, कोई चाय के साथ, और कुछ लोग तो बिना वजह भी खा लेते हैं – बस इस बहाने की "मूड मीठा करना था"।

दमदार स्वाद, नरम दाम

अब बात करें दाम की – तो सिर्फ 60 रुपये में आधा किलो। और अगर सिर्फ 50 ग्राम लेना हो, तो उसमें 3-4 गरमागरम जलेबियां और साथ में फ्री दही। और हां, ये दही भी राजा भाई खुद जमाते हैं – बिलकुल देसी टच में।

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अगर आप खाने-पीने के शौकीन हैं, और मुरादाबाद में हैं – तो राजा भाई का जलेवा मिस नहीं करना चाहिए। ये सिर्फ मिठाई नहीं, एक तजुर्बा है – जिसमें स्वाद भी है, कहानी भी और प्यार भी।

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