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सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से बुलाई गई बैठक में मौजूद नवीन मंडी मुरादाबाद के कर्मचारी।
मुरादाबाद नवीन मंडी परिसर में जिन कारोबारियों ने करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है और उन्होंने स्थाई तौर पर लंबे चौड़े गोदाम बना रखे हैं। उन सभी कारोबारियों की आज सिटी मजिस्ट्रेट / सभापति ने नवीन मंडी परिसर में बैठक बुलाई थी। इस बैठक में आये हुए कब्जेदारों से सिटी मजिस्ट्रेट किंशुक श्रीवास्तव ने कहा कि आप लोगों को पहले ही नोटिस दिया जा चुका है। लिहाजा नोटिस के अनुपालन में आप लोग स्वत: अपना कब्जा हटा लें और मंडी परिसर की सरकारी भूमि को तत्काल प्रभाव से खाली कर दें। आप लोग अगर ऐसा नहीं करते हैं तो यह शासन की आदेशों की अवहेलना होगी। फलस्वरुप मंडी समिति में मय फोर्स के साथ सरकारी भूमि को कब्जेदारों से मुक्त करावायेगी। यंग भारत से बातचीत में सिटी मजिस्ट्रेक किंशुक श्रीवास्तव ने दूरभाष पर बताया कि कि उनकी बात से कब्जेदार सहमत हैं और कबजेदारों ने सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया है। बहरहाल अब देखना यह होगा कि कब्जेदार सिटी मजिस्ट्रेट की बातों का कितना अनुपालन करते हैं। बैठक में मंडी सचिव महादेवी सहित मंडी समिति के निरीक्षक व कर्मचारी गण भी मौजूद रहे।
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237 दुकानें और बांट दिया 800 लाइसेंस, कई सौ करोड़ की सरकारी संपत्ति पर कब्जा
यंग भारत के अभियान बाद अब नवीन मंडी मुरादाबाद के कर्मचारियों की नवीन मंडी परिसर में कुल करीब 237 दुकानें थी। इतने ही व्यापारियों को कारोबार करने का लाइसेंस दिया जा सकता था। मगर मंडी कर्मचारियों ने 800 लाइसेंस जारी कर दिये और मंडी समिति के अधिकारियों ने लाइसेंसधारी दुकानदारों को मंडी समिति की करोड़ों रुपये की जमीन को कब्जा करवा दिया।करतूततों की परतें एक-एक कर खुल रही हैं। दरअसल नवीन मंडी परिसर में कुल करीब 237 दुकानें थी। इतने ही व्यापारियों को कारोबार करने का लाइसेंस दिया जा सकता था। मगर मंडी कर्मचारियों ने 800 लाइसेंस जारी कर दिये और मंडी समिति के अधिकारियों ने लाइसेंसधारियों को मंडी समिति की कई सौक करोड़ रुपये की सरकारी जमीन पर कब्जा करवा दिया। अब इन लाइेंसधारी कारोबारियों ने नवीन मंडी परिसर मुरादाबाद में 100-100 फिट तक स्थायी निर्माण कर लिया है। आज वह जमीनें कई सौ करोड़ की हैं।
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दस-दस साल से कर रहे हैं कारोबार
सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से बुलाई गई बैठक में कारोबारियों ने बताया, उन्होंने मंडी समिति की जिस जमीन पर अपने निर्माण किये हैं। वह खुद के पैसे से किये हैं और दस वर्षों से अधिक समय हो गया। अब तक किसी ने उन्हें जमीन खाली करने को नहीं कहा। अगर वह जमीन खाली करते हैं तो कारोबार कहां करेंगे। इसलिए जिस जमीन पर वह काबिज हैं, वह उनके पास ही रहने दिया जाए।