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Moradabad: "हौसलों की रसोई": मुरादाबाद की महिलाओं ने रची सफलता की नई कहानी

Moradabad: मुरादाबाद की गलियों में अब सिर्फ स्वाद नहीं, संघर्ष और आत्मनिर्भरता की ख़ुशबू भी तैर रही है। आठ महिलाओं ने मिलकर जो सपना देखा था, आज वो "गोल्डी स्वयं सहायता समूह" की कैंटीन के रूप में साकार हो चुका है।

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Anupam Singh
वाईबीएन

कैंटीन Photograph: (MORADABAD )

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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता। मुरादाबाद की गलियों में अब सिर्फ स्वाद नहीं, संघर्ष और आत्मनिर्भरता की ख़ुशबू भी तैर रही है। आठ महिलाओं ने मिलकर जो सपना देखा था, आज वो "गोल्डी स्वयं सहायता समूह" की कैंटीन के रूप में साकार हो चुका है।

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हर दिन लगभग 800 रुपये की बचत के रूप में मिल रहा है

हर सुबह ये महिलाएं समय से पहले उठती हैं, खाना बनाती हैं, कैंटीन सजाती हैं और पूरे समर्पण के साथ ग्राहकों को सेवा देती हैं। इस मेहनत का फल उन्हें हर दिन लगभग 800 रुपये की बचत के रूप में मिल रहा है — लेकिन ये रकम सिर्फ पैसे नहीं, बल्कि उनकी मेहनत, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की गवाही है।

एक समय था जब ये महिलाएं सिर्फ घर की चारदीवारी में सीमित थीं। आज वे अपने घर की आर्थिक रीढ़ बन चुकी हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई, घर की जरूरतें — सब अब उनके मजबूत कंधों पर हैं।

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गोल्डी समूह की यह पहल न केवल रोजगार का जरिया बनी, बल्कि यह साबित करती है कि जब महिलाएं साथ आती हैं, तो वे सिर्फ घर नहीं, समाज भी बदल सकती हैं।

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