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यह देखिये छोटी दुकान के पीछे 100-100 फिट तक पक्का निर्माण।
शहर में कहीं पर भी अगर कब्जे की शिकायत आती है और फोर्स की जरूरत होती है तो वहां पर सिटी मजिस्ट्रेट का जिक्र जरूर आता है। मगर आपको जानकर ताज्जुब होगा कि शहर के भीतर सिटी मजिस्ट्रेट फोर्स के साथ अतिक्रमण हटाने जैसी कार्रवाई तो कर देतीं हैं। मगर वह नवीन मंडी मुरादाबाद के भीतर जिन कारोबारियों ने करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा कर रखा है। उन्हें जाने क्यों वह नहीं हटाना चाहती हैं इसकी वजह क्या है बेहतर तो वही जाने। मगर नवीन मंडी में फंड़ लगाने वाले छोटो कारोबारियों का कहना है कि करोड़ों की जमीन पर कब्जा करने वाले बड़े कारोबारियों पर सभापति की मौन सहमति रहती है। यहां हम बता दें कि मंडी समिति का कोई वर्तमान में अध्यक्ष नहीं है। शासन की ओर से प्रशासनिक व्यवस्था के तहत सिटी मजिस्ट्रेट को ही अधिकृत तौर पर सभापति नियुक्त किया गया है और उन्हीं की देखरेख में मंडी का संचालन किया जा रहा है।
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मंडी के भीतर ए, बी व सी श्रेणी की दुकानें
नवीन मंडी मुरादाबाद के भीतर ए,बी व सी श्रेणी की करीब 125 दुकानें हैं। इन दुकानों में कारोबार करने वाले जो दबंग किस्म के कारोबारी है। उन्होंने नवीन मंडी परिषद की करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा कर रखा है और उदाहरण के तौर पर अगर उनकी दुकान 10 गुना 10 की एलाट है तो उन्होंने चारों तरफ 50 गुना 50 की जमीन पर कब्जा कर रखा है। इनमे से कईयों ने स्थाई और अस्थाई निर्माण भी कर लिया है। कई कारोबारियों ने तो दुकान के पीछे बड़े-बड़े गोदाम बना लिए हैं और अपना पूरा माल उसे गोदाम में रखते हैं तो वहीं कई कारोबारी ने अवैध रूप से बनाए गए अपने गोदाम को किराए पर दे रखा है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी नवीन मंडी के भीतर से संचालित होने वाली मंडी समिति के आला अधिकारियों को नहीं है। मंडी समिति के अधिकारियों से लेकर इंस्पेक्टर तक को इस बारे में पता है। मगर वह मंडी समिति की ओर से कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि उनकी मौन सहमति रहती है। जानकार बताते हैं कि गिरीश, हजारी जिकरान, तौसीफ, हुकुम सिंह एंड संस, कंचन सक्सेना, मेराज, रामचंद्र, बकर आदि जैसे बड़े कारोबारियों में मंडी समिति के करोड़ों की जमीनों पर स्थाई व अस्थाई अवैध निर्माण कर लिया है, जिन्हें हटाने की जहमत मंडी के अधिकारी नहीं कर रहे हैं।
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कई बार अवैध निर्माण हटाने को कहा गया है : महादेवी
मंडी सचिव महादेवी ने बताया कि कई बार अवैध निर्माण को हटाने के लिए कहा गया है। मगर इन कारोबारियों ने अभी तक अवैध निर्माण को हटाया नहीं है। अब शीर्षथ अफसरों को इस बारे में अवगत करवाया जाएगा।