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जनता के टैक्स का करोड़ों रुपया फंसा हुआ इस योजना में।
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (एमडीए) के फ्लैटों के निर्माण में अगर यहां के मुखिया के वेतन का पैसा लगा होता तो नहीं पर बिकने तकलीफ जरूर होती। मगर यहां तो जनता के टैक्स का पैसा लगा हुआ है। अब चाहे फ्लैट बिके या ना बिके। उससे उन पर कोई असर नहीं पड़ता है। हां, प्राधिकरण के इन अफसरों ने ठेकेदारों से मिलकर ऊंची-ऊंची बिल्डिंगे मुरादाबाद में खड़ी जरूर करवा दी हैं, जो सार संभाल के अभाव में धीरे-धीरे जर्जर होती जा रही हैं।
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हम बात कर रहे हैं, ढक्का रोड पर समाजवादी अफोर्डविल स्कीम के तहत अलकनंदा योजना के फ्लैटों की। जिसे बनाये हुए एमडीए को एक दशक से अधिक समय बीत चुका है। अब यहां के फ्लैट खंडहर हो रहे हैं और संपत्तियां चोरी हो रही हैं। बावजूद इसके इनकी रखवाली यहां पर कोई नजर नहीं आता है।
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जनता के टैक्स का लगा है करोड़ों रुपया
आमतौर पर जब कोई प्राइवेट बिल्डर कोई फ्लैट बनाता है तो वह सुनिश्चत करता है, इस शहर में कितने फ्लैटों की डिमांड उसी के अनुसार फ्लैटों के निर्माण का खाका खींचता है। मगर यहां तो एमडीए के अधिकारियों ने ठीक उलटा कर दिया। चाहे शहर में फ्लैट की मांग हो या ना हो। मगर उन्होंने ठेकेदारों से मिलकर जनता के टैक्स का करोड़ों रुपया जरूर फंसा दिया है।
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अवैध तरीके से भी रह रहे हैं कुछ लोग
अलकनंदा योजना के फ्लैटों में कुछ लोग तो अवैध तरीके से भी रह रहे हैं। जबकि वह किराया भी दे रहे हैं। उस किराये को कौन वसूल रहा है। इसे एमडीए के अधिकारी ही जानें।
ग्राउंड फ्लोर की फ्लैटों के निकल चुकें हैं दरवाजे व पल्ले
यहां के फ्लैटों के ज्यादातर दरवाजे और खिड़कियों के पल्ले निकाले जा चुके हैं और अफसरशाही खामोश है। शाम को जो अनैतिक गतिविधियां होती हैं, उसको संभालने की जिम्मेदारी यहां के अफसरों के मुताबिक पुलिस की है।
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पहले आओ और पहले पाओ एमडीए के जर्जर फ्लैट
वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना मार्च चल रहा है तो एमडीए के अफसरों को सरकार की नजर में हीरो भी बनना है और विज्ञापन समेत अन्य मद की धनराशि को भी खपाना है। इसलिए विभिन्न अखबारों में फ्लैट बिक्री की खानापूर्ति के लिए इश्तहार जरूर निकाल दिये गये हैं।
जब एमडीए की काली करतूतों का राजफाश होता है और इस संबंध में यहां के वीसी शैलेश कुमार से उनका पक्ष जानने के लिए जब सरकारी नंबर पर फोन किया गया तो उनका फोन नहीं उठा।