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फोटो:ये दुकान है या जिला अस्पताल की पैथोलॉजी,समझ पाना मुश्किल
जिला अस्पताल में डॉक्टरों को दिखाने के लिए पर्चा भले ही एक रुपये का बन रहा हो,लेकिन अस्पताल में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसी के चलते अस्पताल में आ रहे मरीज प्राइवेट मेडिकलों से दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। इस वजह से अस्पताल में आ रहे मरीजों की जेब ढीली हो रही है। मजबूरी में मरीजों को मेडिकल स्टोरों से दवाइयां लेनी पड़ रही हैं।
अस्पताल के डॉक्टर लिख रहे बाहर की दवाई
मिली जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 2000 मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। दिखाने के लिए आते हैं। बुधवार को भी जिला अस्पताल में 1626 मरीज आए। इनमें से बड़ी संख्या में मरीज उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम के साथ ही त्वचा संबंधी भी थे। मरीजों ने लाइनों में लगने के बाद पर्चा तो एक रुपये में बनवा लिया और डॉक्टर साहब ने देख भी लिया, लेकिन डॉक्टर को दिखाने पर उन्हें दो दवाएं अस्पताल की तो एक दवा बाहर की भी लिख दी गई। ऐसे में मरीजों को बाहर निजी मेडिकलों से दवाएं लेनी पड़ रही हैं।
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अगर दवाई पूरी ले लूंगा तो किराए के पैसे नहीं बचेंगे: मरीज
अस्पताल में दवाई लेने पहुंचे कुंवरपाल निवासी मझोला ने बताया कि अपनी दवाई लेने आया था। जिला अस्पताल में सिर्फ एक गोली मिली है,बाकी दवाई बाहर के मेडिकल से ली है,110 रुपए 10 गोलियों की कीमत है,पैसे कम थे इस वजह से 5 ही गोली ली हैं। क्योंकि 10 गोली अगर ले लेता तो किराए के पैसे नहीं बचते।
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