मुरादाबाद वाईवीएन संवाददाता। पीतल नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले मुरादाबाद में पीतल उद्योग इस समय गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है। कारोबारियों के मुताबिक, बीते दो दशकों में पीतल के कच्चे माल की कीमतों में पांच गुना तक वृद्धि हो चुकी है, जिससे व्यापार पर सीधा असर पड़ रहा है। महंगे कच्चे माल की वजह से तैयार उत्पादों की लागत बढ़ गई है और बाजार में मांग घटती जा रही है।
महंगे उत्पादों को ग्राहक खरीदने से कतराने लगे हैं
स्थानीय पीतल कारोबारियों ने बताया कि 20 साल पहले पीतल की सिल्ली 80 रुपये प्रति किलो मिलती थी, जो अब बढ़कर 540 रुपये किलो हो गई है। हाल ही में इसकी कीमत 480 रुपये थी, लेकिन कुछ ही दिनों में इसमें बड़ा उछाल देखा गया है। उन्होंने कहा कि "कच्चे माल के दाम एक बार बढ़ते हैं तो फिर नीचे नहीं आते। इससे न केवल लागत बढ़ी है, बल्कि ग्राहकों की खरीदारी पर भी असर पड़ा है। कारोबारियों का कहना है कि महंगे उत्पादों को ग्राहक खरीदने से कतराने लगे हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कुछ व्यापारियों ने आशंका जताई है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में मुरादाबाद के पारंपरिक पीतल उद्योग की हालत और बिगड़ सकती है।
व्यापारियों ने सरकार से अपील की है कि पीतल उद्योग को राहत देने के लिए रॉ मटेरियल की कीमतों पर नियंत्रण लगाया जाए और कारीगरों व उद्यमियों के लिए विशेष सहायता योजना लाई जाए, ताकि यह ऐतिहासिक उद्योग अपनी पहचान कायम रख सके।
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