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डीएम को ज्ञापन देते हुए डॉक्टर्स।
चिकित्सा व्यवसाय में कानूनी अड़चनें, डॉक्टरों और अस्पतालों पर लगातार मुकदमें बढ़ने और डॉक्टरों पर उपभोक्ता फोरम के अलावा क्रिमिनल मुकदमें दर्ज होने से आहत चिकित्सकों ने मंगलवार को जिलाधिकारी अनुज सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल से मुलाकात की।
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क्रिमिनल केस दर्ज होने से खफा हैं डॉक्टर
इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स के चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिलकर ज्ञापन सौंपा। उन्हें बताया कि इलाज के दौरान मरीज की स्थिति बिगड़ने या मृत्यु होने पर डॉक्टरों पर क्रिमिनल केस दर्ज होने और गिरफ्तारी को रोकने हेतु सुप्रीम कोर्ट ने जैकब मैथ्यूज बनाम पंजाब राज्य, मार्टिन डिसूजा बनाम मो अशफाक, लतिका कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, कुसुम शर्मा बनाम बत्रा हॉस्पिटल के केस में स्पष्ट गाइडलाइन जारी की है। इसका पालन कराया जाए। इसके अनुसार केवल घोर चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों में ही डॉक्टरों पर क्रिमिनल मुकदमा दर्ज हो।
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पहले सीएमओ की अध्यक्षता में गठित बोर्ड करे जांच
क्रिमिनल चिकित्सकीय लापरवाही के मुकदमें पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद ही दर्ज किए जाएं हों। क्रिमिनल चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों में सीएमओ द्वारा बोर्ड की जांच अनिवार्य हो और दोषी पाए जाने पर ही क्रिमिनल मुकदमा चले। डॉक्टरों की अनावश्यक गिरफ्तारी न हो।विवेचक विवेचना से पूर्व अन्य उसी विधा के चिकित्सक की लिखित राय अनिवार्य रूप से ले। इलाज के दौरान मृत्यु होने पर गैर इरादतन हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज करने की जगह लापरवाही से मृत्यु की धारा में ही मुकदमा दर्ज हो। डाक्टरों पर मुकदमे दर्ज कर उन पर अनावश्यक दबाव न बनाया जाए।
यह लोग रहे मौजूद
प्रतिनिधिमंडल में डा. केजी गुप्ता, डा. प्रशांत पांडेय सेक्रेटरी इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक, डा. शलभ अग्रवाल, डा. सुनील खट्टर, एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डा. रवि गंगल, संजीव बेलवाल आदि शामिल रहे।
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