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Moradabad: महाविद्यालयों में एक हजार से अधिक छात्र-छात्राओं की, को-करिकुलर विषय में बैक लगी

Moradabad: विद्यार्थियों ने बताया कि महाविद्यालयों में को-करिकुलर के शिक्षक नहीं होने के कारण ठीक से तैयारी नहीं हो पाती है। इस वजह से को-करिकुलर विषय में बैक लगता है।

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Narendra Singh
वाईबीएन

Photograph: (moradabad)

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मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता   एक हजार से अधिक छात्र-छात्राओं की महाविद्यालयों में को-करिकुलर विषय में बैक लगी है। इसके कारण विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विद्यार्थियों ने बताया कि महाविद्यालयों में को-करिकुलर के शिक्षक नहीं होने के कारण ठीक से तैयारी नहीं हो पाती है। इस वजह से को-करिकुलर विषय में बैक लगता है।

को-करिकुलर में लाने होते हैं 35 नंबर

हिंदू कॉलेज के प्राचार्य सत्य व्रत सिंह रावत ने बताया कि को-करिकुलर की फैकल्टी नहीं होती है। रूहेलखंड विवि के द्वारा अपने स्तर से इसका पेपर कराया जाता है। केजीके कॉलेज के प्रो. अजय सिंह ने बताया कि को-करिकुलर पेपर में बैक लगने पर ग्रेस मार्क नहीं मिलता है। इसलिए को-करिकुलर पेपर 100 में से 35 नंबर लाना ही होता है।

बैक पेपर भरने के स्टूडेंट के करीब 1450 रुपये लग जाते हैं

बैक पेपर भरने में करीब 1450 रुपये लग जाते हैं। केजीके पीजी कॉलेज, हिंदू पीजी कॉलेज, एमएच पीजी कॉलेज, गोकुलदास पीजी कॉलेज समेत अन्य कॉलेजों में को-करिकुलर के शिक्षक नहीं हैं। इसके कारण इस विषय में अधिकतर छात्र-छात्राओं की बैंक लग रही है। छात्र-छात्राओं ने बताया कि हर समेस्टर में कोकरिकुलर का पेपर होता है। हर बार सिलेबस अगल रहता है। इस पेपर की कोई तैयारी नहीं हो पाती है। को-करिकुलर विषय कॉलेज में नहीं पढ़ाया जाता है।

इस पेपर में किस तरीके से प्रश्न पूछा जाएगा। कुछ पता नहीं चलता है

इसके कारण इसमें बैक लग जाती है। को-करिकुलर का बैक पेपर का फार्म भरने में 1450 रुपये लग जाते हैं। सबसे अधिक समस्या चौथे और छठे समेस्टर के बच्चों को आ रही है। केजीके कॉलेज में स्नातक में फाइनल ईयर में पढ़ने वाली शिखा सिंह ने बताया कि को-करिकुलर पेपर में काफी समस्या होती है। इस पेपर में किस तरीके से प्रश्न पूछा जाएगा। कुछ पता नहीं चलता है।

कॉलेज में को-करिकुलर कभी नहीं पढ़ाया जाता है

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कॉलेज में को-करिकुलर कभी नहीं पढ़ाया जाता है। स्नातक फाइनल ईयर में पढ़ने वाली किरन ने बताया कि बैक पेपर की परीक्षा देने के बाद को-करिकुलर बैक लग जाती है। इससे पूरा रिजल्ट खराब हो जाता है जबकि को-करिकुलर पेपर का नंबर मार्कशीट में नहीं जुड़ता है।

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