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Photograph: (moradabad)
मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता जन्म देने के बाद अपनी मां ने बेशक हालात के हवाले छोड़ दिया हो लेकिन महिला अस्पताल में ऐसे बच्चों के लिए भी ममत्व बरस रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने नवजात शिशुओं के लिए मदर मिल्क बैंक बनाया है। अब तक 52 मांओं के आंचल से 169 बच्चों तक ममता की मिठास पहुंच चुकी है। किसी मां को स्तनपान कराने में दिक्कत है या कोई बीमारी से जूझ रही है, कोई कमजोरी के कारण शिशु को दूध नहीं पिला पा रही है, ऐसी स्थिति में मदर मिल्क बैंक नन्हीं सी जान को मां का दूध पिलाने में बड़ा मददगार साबित हो रहा है।
अब तक 52 माताओं ने अपना दूध दान कर नवजातों को ममता की छाया दी है
15 मई को यह बैंक शुरू किया गया था। अब तक 52 माताओं ने अपना दूध दान कर नवजातों को ममता की छाया दी है। दूध का दान करने से पहले इन महिलाओं के खून की जांच कराई जाती है। सब कुछ टीक पाए जाने के बाद ही ब्रेस्ट पंप के जरिए माताओं का दूध लिया जाता है। महिला अस्पताल के डीप फ्रीजर में इसे संरक्षित रखा जाता है।अस्पताल में हर दिन इस दूध की जरूरत पड़ती है। क्योंकि कुछ ऐसे बच्चे भी यहां भर्ती कराए जाते हैं, जिन्हें माता-पिता ने जन्म देते ही छोड़ दिया हो। अस्पताल स्टाफ का कहना है कि दूध का दान करने वाली और लेने वाली दोनों माताओं की पहले काउंसलिंग की जाती है। उन्हें बताया जाता है कि जन्म के तुरंत बाद मां का दूध बच्चे के लिए कितना जरूरी है। यह कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। दोनों माताओं की सहमति पर दूध लेकर मिल्क बैंक में रख लिया जाता है। मदर मिल्क बैंक में ब्रेस्ट पंप से माताओं का दूध लिया जाता है।
अब तक डीप फ्रीजर में सहेज कर रखे गए दूध ने कई बच्चों को नई जिंदगी दी है
सीएमएस डॉ. निर्मला पाठक का ने बताया कि डीप फ्रीजर में तीन माह तक दूध को सुरक्षित रखा जा सकता है। 15 मई से अब तक डीप फ्रीजर में सहेज कर रखे गए दूध ने कई बच्चों को नई जिंदगी दी है। अब तक अस्पताल प्रशासन ऐसे बच्चों के लिए मिल्क पाउडर की व्यवस्था करता था, जिन्हें मां का दूध न मिल पाया हो। अब मिल्क बैंक होने से इन बच्चों में पोषण की कमी नहीं होगी। साथ ही कई बीमारियों से बचे रहेंगे। महिला अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. किरन पांडे खुद इस बैंक की देखरेख करती हैं।
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