मुरादाबाद वाईवीएन संवाददाता। प्रदेश सरकार एक ओर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर नजर आ रही है। जिला अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की सेहत इंटर्न डॉक्टरों के हवाले कर दी गई है, जबकि असल चिकित्सक नदारद रहते हैं। अस्पताल में नियमित डॉक्टरों की गैरमौजूदगी और इंटर्न की मनमानी पर जिम्मेदार अफसर भी आंख मूंदे हुए हैं।
चिकित्सक की सीट खाली इंटर्न के हवाले मरीज
जिला अस्पताल का नजारा चौंकाने वाला था। फिजिशियन के कक्ष में डॉक्टर की कुर्सी खाली थी और वहां इंटर्न छात्र ही मरीजों को देख रहे थे। इनमें से एक मरीज की समस्या सुन रहा था जबकि दूसरा इंटर्न दवा की पर्ची लिख रहा था। यही हाल त्वचा रोग विभाग का भी रहा, जहां केजीके मेडिकल कॉलेज के दो इंटर्न इलाज करते दिखे। यहां भी चिकित्सक की सीट खाली थी और इंटर्न ही मरीजों को दवा देने की सलाह दे रहे थे। मिली जानकारी के अनुसार इन इंटर्न डॉक्टरों की इंटर्नशिप अवधि समाप्त हुए एक साल से अधिक समय बीत चुका है, बावजूद इसके वे अब भी ओपीडी में सक्रिय हैं। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा के साथ गंभीर खिलवाड़ भी है।
जब इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस स्थिति की जानकारी नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की जांच कराई जाएगी। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में अब डॉक्टर मिलना मुश्किल हो गया है। जब इलाज के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें इंटर्न के हवाले कर दिया जाता है। कई बार तो सही दवा तक नहीं मिलती। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और डॉक्टरों की गैरहाजिरी ने सरकारी दावों की पोल खोल दी है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो इसका खामियाजा मरीजों को अपनी जान के बदले भुगतना पड़ता सकता है।
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