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सेवानिवृत्ति मेजर जगतपाल सिंह।
मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता। Pahalgam Terrorist Attack का भारतीय सेना ने Operation Sindoor के जरिये जो बदल लिया है, उससे भारत के नागरिक ही नहीं बल्कि उन लोगों में भी गजब का उत्साह देखने को मिला है, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ जंग के मैदान में अपना खून पसीना बहाया है। हम बात कर रहे हैं मुरादाबाद के ऐसे शख्स की जो फौज में रहते हुए देश की सेवा की और जब फ़ौज से उनका नाता छूटा। तब उन्होंने मुरादाबाद के लोगों की सेवा की। मगर उनका कभी फौज से नाता टूटा नहीं। आज जब भारतीय सेना ने Operation Sindoor को अंजाम दिया तो 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के सैनिकों के छक्के छुड़ाने वाले सेवानिवृत्ति मेजर जगतपाल सिंह ने सैन्य युद्ध के बारे में यंग भारत से अपनी यादें साझा की।
बहरहाल, अब मेजर जगतपाल सिंह करीब 85 वर्ष के हो चुके हैं। मुरादाबाद में वह एसएसपी आवास के पास अपनी कोठी में रहते हैं। 1961 में सेना में भर्ती होने के बाद वह 10 जैक राइफल्स कंपनी के1971 में मेजर थे। उन्होंने और उनकी कंपनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 में लड़ाई लड़ी थी। यंग भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी फोर्स नागालैंड में तैनात थी। इसके बाद पाकिस्तान से युद्ध करने का आदेश हुआ और उनकी कंपनी नागालैंड से होते हुए अगरतला पहुंची और जब अगरतला पहुंची तो देखा पाकिस्तानी सैनिकों ने महिलाओं के ब्रेस्ट काटकर छोड़ दिए थे और हमारे एक सरदार के गर्दन को काटकर पेड़ से लटका दिया था। यह सब देखकर हमारे सैनिकों का खून खौल उठा। इसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों से अपनी कंपनी के साथ लड़ाई लड़ते हुए आगे बढ़ने लगे। बताया कि उन दिनों हमारे पास आज के जितना आधुनिक हथियार तो नहीं थे मगर हिम्मत बहुत थी। इसी हिम्मत के भरोसे हमारी कंपनी पाकिस्तानी सैनिकों को मारते, पीटते और खदेड़़ते हुए ब्रह्मपुत्र तक पहुंच गई। इसके आगे जब हम चले तो पाकिस्तान के टैंक हम पर हमला कर रहे थे।
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पाकिस्तानी टैंक पर कर लिया कब्जा
मेजर जगतपाल सिंह ने अपने दिमाग पर जोर डालते हुए आगे बताया कि उन्होंने पाकिस्तान के टैंक को अपने सैनिकों की मदद से कब्जा कर लिया। मगर उनके पास टैंक चलाने वाला चालक नहीं था। फिर उन्होंने भाग रहे पाकिस्तान के चालक को दबोच लिया और हथियार से धमकाते हुए उससे कहा चलो टैंक चलाओ। फिर वह टैंक चलाने लगा और हम पाकिस्तान के टैंक से उसके ही सैनिकों पर हमला करते हुए आगे बढ़ने लगे। इस तरह से हमारी वहां पर 4-5 दिन का खतरनाक युद्ध पाकिस्तान के साथ हुआ।
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शेख हसीना के पिता मुजीबुर रहमान के परिवार को बचाया
1971 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। 16 दिसंबर को ही पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था। सीजफायर होने की घोषणा तक हम 96 000 पाकिस्तानियों को बंधक बना चुके थे। इसके बाद ऊपर से हमें आदेश मिला कि शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की सुरक्षा की जाए। इसके बाद हम वहां से ढाका पहुंचे और वहां भी पाकिस्तानियों को मार भगाया। कई दिनों तक हमने शेख मुजीबुर रहमान के परिवार पत्नी और उनकी बेटी शेख हसीना की रक्षा की।
बहुत ताकत है आज बाजुओं में
सेवानिवृत्ति मेजर जगतपाल सिंह ने बताया कि आज जब हम भारत की एयर स्ट्राइक देख रहे थे तो मेरा मन कह रहा था अगर मुझे हथियार दे दिया जाए तो इस 85 साल की अवस्था में हम अभी भी दुश्मन पर गोलियां बरसा सकते हैं। मगर भारत की सेना ने जो कर दिखाया है, उसको मेरी ओर से जय माता दी है।
पाकिस्तान के साथ कोई नहीं खड़ा होगा
मेजर जगतपाल सिंह ने यंग भारत को बताया पाकिस्तान उस स्थिति में नहीं है कि वह भारत पर मिसाइल से हमला कर सके। बस वह चेक पोस्टों पर या कभी दो-चार सैनिक हमने उनके मार दिए कभी उधर से उसने फायरिंग कर दी। इससे अधिक पाकिस्तान कुछ नहीं कर सकता है और उसका साथ देने वाला कोई नहीं है।
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इंदिरागांधी ने भी की तारीफ
जब बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग होकर बना और सेवानिवृत्ति मेजर जगतपाल सिंह बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के परिवार की विशेष सुरक्षा की। तब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीब आये और इंदिरागांधी ने उनका पूरा सम्मान किया।
देश के बाद मुरादाबाद की सेवा, दो बार रहे विधायक
मेजर जगतपाल सिंह फौज से सेवानिवृत्ति होने के बाद जब वह सामान्य जीवन में आए तो उन्होंने मुरादाबाद पश्चिम सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और दो बार के विधायक भी रहे। इस दौरान उन्होंने मुरादाबाद की सेवा पूरी ईमानदारी से की। वह बताते हैं कि 1991 में और 1996 में भारतीय जनता पार्टी से टिकट मिला। मुरादाबाद की पश्चिमी सीट से विधायक बने और लोगों की सेवा की। बहरहाल आज सेवानिवृत्ति जगतपात सिंह के अंदर सेवा की भावना कूट-कूट भरी हुई है, चाहे देश की सेवा करनी हो और चाहे समाज की।
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