मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।
पंचायती राज विभाग में हो रहे घोटाले की परतें बहुत मोटी हैं, जो सरकार की पकड़ में नहीं आ रही हैं। एक बार शासन ने पंचायती राज विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले के लिए नकेल कसने का निर्णय लिया है। इससे जिला पंचायत, ग्राम्य विकास और क्षेत्र पंचायत के कार्य की छानबीन के चलते विभागों में खलबली मची है। 2017-18 की ऑडिट आपत्तियों को लेकर विभाग प्रमुखों ने मंथन किया। अब अधिकारियों द्वारा तैयार मसौदे को लेकर मुख्य विकास अधिकारी और तीनों विभाग के अधिकारी के छह मार्च को लखनऊ में समिति के सामने पेश होंगे। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद से विभागों में कार्य की गुणवत्ता और शासन के व्यय धन को लेकर क्रास चेकिंग चल रही है।
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किया गया था जिला पंचायत राज अधिकारी को सस्पेंड
करोड़ों रुपये निकाल लेने के आरोप शासन ने वर्ष 2021 में जिला पंचायत राज अधिकारी को सस्पेंड कर दिया था। एक बार फिर जिला पंचायत राज अधिकारी सरकार के निशाने पर हैं। यहां बता दें कि सपा शासन काल में मुरादाबाद में हुए विकास कार्यों पर सवाल उठे थे। सूत्रों का कहना है कि जिला पंचायत की ओर से उस दौर में कराए गए कार्य को लेकर शासन सहमत नहीं है।
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इसी तरह जिला पंचायत राज विभाग और ग्राम्य विकास विभाग के निर्माण कार्यों की छानबीन में शिकायतें आईं थीं। विकास भवन स्थित में विकास खण्ड के सहायक विकास अधिकारी (पं) सचिव ग्राम पंचायतों को लेकर मंथन चला। क्षेत्र पंचायत मुरादाबाद, बिलारी, कुन्दरकी व डिलारी के जिम्मेदार आपत्तियों को दुरुस्त करने में जुटे रहे।