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ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन संवाददाता। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण अब प्राधिकरण विकास कार्यों के लिए जिन नए गांवों में किसानों की सहमति से सीधे जमीन खरीदेगा, बैनामा के दौरान ही किसानों को सात फीसदी आबादी का आरक्षण पत्र जारी कर दिया जाएगा। किसानों को कितना आबादी का भूखंड मिलेगा इस उल्लेख बैनामा में किया जाएगा। इसका प्रपत्र प्राधिकरण की तरफ से तैयार किया जा रहा है।
योजना के लागू होते ही दशकों से भटक रहे किसानों को चिंता से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं, किसानों को दलालों के मकड़ जाल से भी मुक्ति मिलेगी। इतना ही नहीं नीति के सही से लागू करने के लिए विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारियों की जिम्मेवारियां भी तय की गई हैं। दरअसल, प्राधिकरण द्वारा किसानों की जमीन का बैनामा किए जाने के बाद सात प्रतिशत भूखंड के आवंटन को लेकर एक लंबी एवं जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
यह प्रक्रिया इतनी बोझिल, जटिल एवं लंबी होती है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण की स्थापना के बाद से ही बड़ी संख्या में किसान भूखंड आवंटन के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यालयों के अभी तक चक्कर लगाते हुए देखे जा सकते हैं। कई बार किसान सात प्रतिशत भूखंड के आवंटन की थका देने वाली सालों लंबी प्रक्रिया से बचने के लिए किसान दलानों के चंगुल में फंस जाते हैं। ऐसे में किसानों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मुआवजा अथवा भूखंड से किसानों को हाथ धोना पड़ता है।
प्राधिकरण किसानों को अधिकतम 11 महीने में सात प्रतिशत भूखंड को विकसित करके देने की दिशा में काम कर रहा है। प्राधिकरण द्वारा किसान से अब सहमति के आधार पर सीधे जमीन क्रय किए जाने पर मुआवजा राशि के साथ सात प्रतिशत भूखंड के संबंध में एक आरक्षण पत्र संलग्न किया जाएगा। जमीन का बैनामा करने के साथ सात फीसदी आबादी का आरक्षण पत्र जारी किया जाएगा। आरक्षण पत्र किसान के पास सुरक्षित होगा। इसका लाभ किसान को यह होगा कि जब भी उसको भूखंड आवंटन कराना होगा, वह प्राधिकरण में आरक्षण पत्र को स्वंय प्रस्तुत करेगा। किसान को अधिकारियों और कर्मचारियों के अपनी फाइल के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इससे किसानों का भूखंड तय हो जाएगा।
किसानों को प्राधिकरण की नीति के अनुसार अधिकतम ढाई हजार वर्गमीटर और कम से कम 120 वर्गमीटर का भूखंड आवंटित किया जाएगा। यह नीति केवल उन किसानों को ही मिलेगा जिन्होंने प्राधिकरण को जमीन के क्रय के समय सात प्रतिशत भूखंड के स्थान पर 4300 वर्गमीटर का मुआवजा नहीं लिया है। अर्थात सात प्रतिशत भूखंड के विकल्प का चयन किया है। किसान द्वारा आरक्षण पत्र प्रस्तुत किए जाने के 11 महीने में विकसित भूखंड पर कब्जा दे दिया जाएगा। किसान अपनी सुविधानुसार प्राधिकरण में भूखंड आवंटन के लिए आरक्षण पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके 90 दिनों के अंदर किसान को भूखंड का प्लाट नंबर आवंटित कर दिया जाएगा। आगामी 8 माह में किसान को आवंटित किए गए भूखंड को पूर्ण रूप से विकसित करके सौंप दिया जाएगा।
किसानों को निर्धारित समय सीमा में भूखंड आवंटित किए जाने की पूरी प्रक्रिया एक विशेष समिति की देखरेख में चलेगी। इस समिति में डिप्टी कलेक्टर, ओएसडी, तहसीलदार, प्रबंधक परियोजना विभाग, प्रबंधक नियोजन विभाग, प्रबंधक भू विभाग और एक विधिक अधिकारी शामिल होगा। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की स्थापन से लेकर अभी तक 29 गांवों के लगभग 1.7 हजार किसान सात प्रतिशत भूखंड आवंटन के लिए भटक रहे हैं। हालांकि इनमें से 12 गांवों के किसानों के भूखंड लग चुके हैं। 6 गांवों में किसानों के भूखंड के प्रारंभिक प्रकाशन हो चुके हैं। वहीं, 3 गांवों में भूखंड आवंटन की प्रक्रिया प्रकाशन के द्वितीय चरण में हैं। जबकि 8 गांवों में अभी तक इस दिशा में कुछ काम नहीं हो सका है।
डॉ अरुणवीर सिंह, सीईओ, यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बताया कि नई नीति के लागू होने से किसानों को जटिल एवं लंबी प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। उन्हें कुछ महीनों में ही सात प्रतिशत विकसित भूखंड मिलेगा। किसानों को इसका लाभ होगा। प्राधिकरण के पक्ष में बैनामा के समय किसानों को सात प्रतिशत भूखंड का एक आरक्षण पत्र सौंपा जाएगा। इसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है। जल्द ही यह नीति यमुना एक्घ्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में लागू होगी।