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ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन संवाददाता। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को कोर्ट से लगी फटकार के बाद अब नींद टूटी है, प्राधिकरण ने बिना जमीन अधिग्रहण किए ही पतवाड़ी गांव में पांच आवंटियों को 96 सौ वर्गमीटर भूखंड का आवंटन और लीज लीड कर दिया था। इस मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने छह और अधिकारियों को निलंबित करने की संस्तुति की है। इस कार्रवाई की जद में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे प्रबंधक और सहायक प्रबंधक भी शामिल हैं। इसी मामले में एक महीने पहले उपजिलाधिकारी (एसडीएम), एक महाप्रबंधक और एक वरिष्ठ प्रबंधक सहित पांच के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है।
रजिस्ट्री कराने के बावजूद उन्हें भूखंडों पर कब्जा नहीं मिला
दरअसल, वर्ष 2008 में पतवाड़ी गांव में जमीन की अधिग्रहण शुरू किया गया था। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2023 में आवासीय भूखंड योजना लांच की और सबसे अधिक बोली लगाने वाले पांच आवंटियों को आवंटन पत्र जारी किए गए थे। सेक्टर-2 में पांच आवंटियों को 96 सौ वर्गमीटर जमीन का आवंटन किया गया। मगर, मौके पर केवल 1,660 वर्ग मीटर जमीन पर ही कब्जा था। पिछले वर्ष नवंबर में दो आवंटियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मामला दायर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पूरी आवंटन राशि का भुगतान करने और अपने नाम पर रजिस्ट्री कराने के बावजूद उन्हें भूखंडों पर कब्जा नहीं मिला।
जनवरी 2024 में कब्जा प्रमाण पत्र जारी किए
न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, पूरी राशि का भुगतान करने के बाद दोनों आवंटियों को अप्रैल 2023 में आबंटन पत्र जारी किए गए, जबकि नवंबर में लीज डीड (रजिस्ट्री) निष्पादित की गई। नवंबर 2023 और जनवरी 2024 में कब्जा प्रमाण पत्र जारी किए गए। आवंटियों ने बताया कि उन्हें इस विसंगति के बारे में तब पता चला जब उन्होंने अपने भूखंडों पर कब्जा लेने के लिए प्राधिकरण से संपर्क किया, लेकिन उन्हें बताया गया कि अधिकांश भूमि अभी भी मूल किसानों के कब्जे में है। आवंटियों ने प्राधिकरण से अपनी आवंटित जमीन नहीं मिलने पर वैकल्पिक भूखंड देने का भी प्रस्ताव दिया था। Noida Authority | greater noida industry | Greater Noida Authority | Noida | greater noida
सात सदस्यीय जांच समिति का गठन किया
न्यायालय की फटकार के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सौम्य श्रीवास्तव और लक्ष्मी वीएस की अध्यक्षता में सात सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। इस जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। यहां बता दें कि न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की पीठ ने इस मामले की 23 जनवरी, 2025 के आदेश में प्राधिकरण की कार्रवाई को गलत बयानी और छल करार देते हुए कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी।
आचरण को मनमाना और लापरवाही भरा माना
प्राधिकरण ने न्यायालय में कहा था कि उसके पास विकल्प के रूप में देने के लिए कोई खाली भूमि नहीं है और इसके बजाय उसने ब्रोशर के एक खंड में उल्लिखित 4 फीसदी साधारण ब्याज के साथ वापसी का प्रस्ताव रखा था। पीठ ने इस आचरण को मनमाना और लापरवाही भरा बताया था। साथ ही सवाल किया कि प्राधिकरण कैसे उन भूखंडों का विज्ञापन, आवंटन और पट्टे दे सकता है, जिन पर उसका कोई कानूनी दावा नहीं है।
कोर्ट ने मांगा हलफनामा
इसने प्राधिकरण के सीईओ से स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों न उन पर हर्जाना लगाया जाए और क्यों न कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाए। सीईओ को आदेश दिया गया कि वे इसमें शामिल अधिकारियों के नाम बताते हुए एक विस्तृत हलफनामा पेश करें। अदालत ने राज्य सरकार के वकील से इस अनियमितता में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में राज्य सरकार ने सात अप्रैल को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को पत्र लिखकर मामले पर विस्तृत रिपोर्ट और प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए सभी अधिकारियों के नाम मांगे थे। इसके जवाब में प्राधिकरण ने 11 अप्रैल को इस योजना में शामिल छह और अधिकारियों के खिलाफ आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई।
लापरवाह अफसरों के निलंबन की हुई है सिफारिश
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे तत्कालीन सहायक प्रबंधक (परियोजना) वैभव नागर, तत्कालीन प्रबंधक (परियोजना) मनोज धारीवाल, सहायक विधि अधिकारी (विधि विभाग) वंदना राघव, तत्कालीन प्रबंधक (विधि विभाग) अतुल शुक्ला, तत्कालीन वरिष्ठ ड्राफ्ट्समैन (योजना विभाग) सुरेश कुमार, और तत्कालीन वरिष्ठ कार्यकारी/प्रबंधक (योजना विभाग) डब्ल्यू सुखबीर सिंह के निलंबन की सिफारिश की है। प्राधिकरण की जांच में इन इन अधिकारियों पर पट्टे के दस्तावेजों की दोषपूर्ण तैयारी, सत्यापन में चूक और भूमि स्वामित्व की पुष्टि किए बिना कार्रवाई का आरोप सिद्ध किया है। इससे पहले ग्रेटर नोएडा में तैनात रहे विशेष कार्याधिकारी आरके देव, तहसीलदार, वरिष्ठ प्रबंधक प्रवीण सलोनिया, प्रबंधक कमलेश कुमार चौधरी उर्फ डॉ के डी मणी व लेखपाल श्रीपाल के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है। तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक प्रवीण सलोनिया इस वक्त नोएडा प्राधिकरण में तैनात है।