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प्रतिकात्मक फोटो Photograph: (सोशल मीडिया)
प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता।प्रयागराज के पूरामुफ्ती थाना क्षेत्र के पोंगहट गांव में माफिया अतिक के करीबी भू माफियाओं द्वारा जमीन की खरीद-फरोख्त में बड़ा घोटाला सामने आया है। आरोप है कि छह लोगों ने अपने हिस्से से कई गुना अधिक भूमि बेचकर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया। हैरानी की बात यह है कि निजी भूमि ही नहीं, बल्कि सरकारी जमीनों को भी अपनी बताकर खरीदारों के नाम रजिस्ट्री कर दी गई। मामला सामने आने के बाद लेखपाल सुधीर कुमार ने छह लोगों के खिलाफ पूरामुफ्ती थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
आराजी संख्या 344 में खेला गया धोखाधड़ी का खेल
फर्जीवाड़ा जिस आराजी संख्या 344 में हुआ उसका कुल रकबा 1.929 हेक्टेयर है। आरोपियों ने वर्ष 2005 से 2020 के बीच अलग-अलग तिथियों में बैनामा कर भूमि की बिक्री की। राजस्व अभिलेखों की जांच के बाद पता चला कि जिन लोगों ने भूमि बेची, उनके हिस्से में उतनी जमीन थी ही नहीं। इसके बावजूद उन्होंने सरकारी हिस्से की जमीन को अपनी बताते हुए बिक्री कर दी। लेखपाल के अनुसार, यह पूरा कृत्य राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ और तथ्य छुपाने का मामला है, जिसमें सरकारी भूमि को भी निजी बताकर रजिस्ट्री कर दी गई।
किसने कितनी जमीन अधिक बेची, विस्तृत सूची जारी
1. जसीम अहमद, विकास सिंह एवं अमित कुमार शुक्ला
कुल बेची गई भूमि: 3173.81 वर्गमीटर
वास्तविक स्वामित्व से अधिक बेची गई: 773.81 वर्गमीटर
2. प्रमोद कुमार केशरवानी
उसके हिस्से में: 4910 वर्गमीटर
बेची गई: 7214.47 वर्गमीटर
अधिक बिक्री: 2304.47 वर्गमीटर
3. वकार अहमद
अतिरिक्त बिक्री: 294.82 वर्गमीटर
4. अरविंद कुमार केशरवानी
उसके हिस्से की जमीन: 4910 वर्गमीटर
बेची गई: 8634.87 वर्गमीटर
कुल अतिरिक्त बिक्री: 3724.87 वर्गमीटर
यह पूरे मामले में सबसे बड़ा अवैध बिक्री का आंकड़ा है।
जसीम है माफिया अतीक अहमद के करीबी जैद खालिद का भाई
एफआईआर में नामजद आरोपी जसीम, माफिया अतीक अहमद के करीबी रहे जैद खालिद का सगा भाई है। जैद पिछले महीने भी जमीन कब्जा और बिक्री के एक बड़े मामले में पूरामुफ्ती थाने में नामजद हुआ था। उस पर आरोप था कि उसने एटीएस और ईवीएम गोदाम के लिए आरक्षित सरकारी जमीन पर कब्जा जमाकर बेच दिया। जैद 2019 में उस समय चर्चा में आया था जब उसने अतीक अहमद पर खुद को अगवा कर देवरिया जेल बुलाने और पिटाई कराने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था।
राजस्व विभाग और पुलिस ने शुरू की विस्तृत जांच
घोटाले के सामने आने के बाद राजस्व विभाग ने संबंधित सभी अभिलेख जब्त कर लिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि आराजी में सरकारी भूमि की कितनी हिस्सेदारी थी, किन अधिकारियों की मिलीभगत से रजिस्ट्री संभव हुई, खरीदारों को वास्तविक स्थिति की जानकारी दी गई थी या नहीं इन सभी बिंदुओं पर गहन जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जरूरत पड़ने पर धारा बढ़ाई जाएगी और अन्य लोगों की भूमिका भी जांच के दायरे में लाई जाएगी। फर्जीवाड़े का यह मामला आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है।
स्थानीय प्रशासन सख्त, बड़े स्तर पर कार्रवाई की तैयारी
जमीन घोटाले में सरकारी भूमि की बिक्री का मामला सामने आने के बाद प्रशासन बेहद गंभीर है। जिला प्रशासन ने पूरे प्रकरण की तहसीन जांच करने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया है। साथ ही इस आराजी के तहत हुई सभी रजिस्ट्री की दोबारा जांच कराई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि सरकारी भूमि की फर्जी बिक्री की पुष्टि होने पर संबंधित रजिस्ट्री को निरस्त कर भूमाफिया और सहयोगियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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