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High Court News: इलाहाबाद हाईस्कूल सोसायटी विवाद: हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट से तय कराने का दिया निर्देश

हाईकोर्ट ने इलाहाबाद हाईस्कूल सोसायटी के प्रबंधकीय विवाद को सिविल कोर्ट से तय कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश चर्च ऑफ इंडिया, पाकिस्तान, बर्मा एंड सीलोन तथा चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया, लखनऊ के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को देखते हुए जारी किया है। न्

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Abhishek Panday
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फाइल फोटो Photograph: (google)

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद हाईस्कूल सोसायटी के प्रबंधकीय विवाद को सिविल कोर्ट से तय कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश चर्च ऑफ इंडिया, पाकिस्तान, बर्मा एंड सीलोन तथा चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया, लखनऊ के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को देखते हुए जारी किया है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने कहा कि जब तक विवाद का अंतिम निस्तारण नहीं हो जाता, तब तक ब्वायज हाई स्कूल एंड कॉलेज और गर्ल्स हाई स्कूल एंड कॉलेज के बैंक खातों का संचालन संबंधित कॉलेजों के प्रधानाचार्य तथा जिलाधिकारी प्रयागराज द्वारा नामित एडीएम रैंक के अधिकारी संयुक्त रूप से करेंगे।

पूर्व न्यायमूर्ति उमेश कुमार बने पर्यवेक्षक, करेंगे खातों का तिमाही ऑडिट

साथ ही दोनों चर्च संस्थाओं के खातों का संचालन प्रधानाचार्य, जिलाधिकारी प्रयागराज और पुलिस कमिश्नर प्रयागराज संयुक्त रूप से करेंगे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था तब तक प्रभावी रहेगी जब तक सिविल कोर्ट विवाद का निस्तारण नहीं कर देता। कोर्ट ने पूरे प्रकरण की निगरानी के लिए हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति उमेश कुमार को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। उन्हें खातों की तिमाही ऑडिट सुनिश्चित करने और कॉलेज प्रबंधन के सुचारू संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया गया है कि वे कॉलेज परिसर में पर्यवेक्षक के लिए कार्यालय और आवश्यक स्टाफ की व्यवस्था करें। कोर्ट ने टिप्पणी की कि दशकों से सोसायटी का प्रबंधकीय विवाद लंबित है, जिसके कारण प्रबंध समिति का चुनाव नहीं कराया जा सका। वर्तमान में कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है। प्रधानाचार्य पर वित्तीय अनियमितताओं और गबन के आरोप भी लगाए गए हैं, जिनकी पारदर्शी जांच आवश्यक है। अंततः कोर्ट ने कहा कि “प्रबंधन का मसला हमेशा के लिए सिविल कोर्ट से तय कराया जाए,” ताकि संस्थाओं में पारदर्शिता और सुशासन कायम रह सके।

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