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हाईकोर्ट
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिकरू कांड के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे के साथी हीरू दुबे उर्फ धर्मेंद्र गैंग के सदस्य शिव तिवारी उर्फ आशुतोष त्रिपाठी की गैंगस्टर एक्ट में सजा के विरुद्ध दाखिल अपील पर जमानत मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति वाणी रंजन अग्रवाल ने आशुतोष त्रिपाठी की अपील पर दाखिल जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है अपीलार्थी के अधिवक्ता भूपेंद्र पाल ने कहा कि वह निर्दोष है और उसे झूठा फंसाया गया है। यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई दोषसिद्धि और सजा रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों के विपरीत है। ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों को पढ़ने में गलती की है। अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा है। कहा कि अपीलार्थी का पांच मामलों का आपराधिक इतिहास है, सभी में उसे जमानत मिली है। वह 18 अगस्त 2020 से जेल में है और वह पहले ही पांच वर्ष से अधिक का कारावास की सजा भुगतना चुका है। उसे दस वर्ष के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई गई है।
अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का किया विरोध
निकट भविष्य में अपील की शीघ्र सुनवाई की संभावना नहीं है इसलिए अपीलार्थी को अपील लंबित रहने तक जमानत पर रिहा किया जाए । अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले ने कहा कि अपीलार्थी ट्रायल के दौरान जमानत पर था और जमानत के दुरुपयोग का कोई भी उदाहरण न्यायालय के संज्ञान में नहीं लाया गया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपील के अंतिम निस्तारण में कुछ समय लग सकता है, मामले के गुण-दोष पर आगे टिप्पणी किए बिना अपीलार्थी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। कोर्ट ने यह भी कहा कि अपील लंबित रहने के दौरान अपीलार्थी के विरुद्ध 50 प्रतिशत जुर्माने की वसूली स्थगित रहेगी। शेष 50 प्रतिशत जुर्माना अपीलार्थी को रिहाई के दो महीने के भीतर जमा करना होगा। कोर्ट ने कार्यालय को पेपर बुक तैयार करने और अपील को सुनवाई के लिए तीन महीने बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। कानपुर देहात के विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट/अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर पांच ने चौबेपुर थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में ट्रायल के बाद पांच सितंबर 2023 को शिव तिवारी उर्फ आशुतोष त्रिपाठी को दोषसिद्ध पाते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी।
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