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Photograph: (google)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुम्भ मेला प्रयाग के मेला अधिकारी को बीते जनवरी माह में मौनी अमावस्या पर्व पर हुई भगदड़ में श्रद्धालु की मृत्यु के मुआवजे के भुगतान पर कानून के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कहा है कि आदेश की प्रति 13 नवंबर को अगली सुनवाई पर पेश किया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार एवं न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने रामकली बाई की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अरुण यादव और राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल ने पक्ष रखा।
महाकुम्भ मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ में याची की पति की हुई थी मौत
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की निवासी याची के पति मोहनलाल अहिरवार की मृत्यु महाकुम्भ मौनी अमावस्या के दिन मेला क्षेत्र में हुई भगदड़ में हुई थी। सरकार ने मृतक परिवार को मुआवजे की घोषणा की थी। किंतु याची को भुगतान नहीं किया गया। कोर्ट को बताया गया कि इस न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही याची को उसके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है और अब उसके पास पति के शव का पंचनामा भी है फिर भी उसे कोई मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया है कि याची को गत 22 सितंबर को नोटिस जारी कर 13 अक्टूबर को मेला अधिकारी महाकुम्भ मेला प्रयागराज के समक्ष अपने दावे के समर्थन में उसके पास मौजूद सभी सामग्री के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया है। क्योंकि उसके दावे का आवेदन मेला अधिकारी के समक्ष विचाराधीन है। याची ने कहा कि सुनवाई के एक दिन पहले तक याची को किसी नोटिस की जानकारी नहीं थी। इस पर कोर्ट ने अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल से नोटिस की कॉपी याची के अधिवक्ता अरुण यादव को सुनवाई के दौरान ही दिलाई। साथ ही निर्देश दिया कि नोटिस के जवाब में याची अपने पति की महाकुम्भ 2025 के मौनी अमावस्या पर्व के दौरान हुई आकस्मिक मृत्यु के संबंध में उसके पास उपलब्ध सभी सामग्री के साथ 30 अक्टूबर को मेला अधिकारी के समक्ष उपस्थित हो। याची के उपस्थित होने पर मेला अधिकारी कानून के अनुसार याची के लंबित आवेदन का निपटारा करते हुए सकारण और तर्कपूर्ण आदेश पारित करें।
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